Bihar Assembly Election 2025: AIMIM की महागठबंधन में शामिल होने की पेशकश, सियासी समीकरणों में उलटफेर की संभावना

Bihar Assembly Election 2025

Bihar Assembly Election 2025: बिहार की सियासत में विधानसभा चुनाव 2025 से पहले एक बड़ा ट्विस्ट देखने को मिल रहा है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा जताई है। इस पेशकश ने बिहार के सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। AIMIM के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को पत्र लिखकर और तेजस्वी यादव से संपर्क साधकर इस गठबंधन की संभावनाओं को तलाशने की कोशिश की है। हालांकि, अभी तक RJD की ओर से कोई स्पष्ट जवाब नहीं आया है। इस बीच, सवाल यह उठ रहा है कि क्या यह ओवैसी का सियासी मास्टरस्ट्रोक है या फिर केवल एक रणनीतिक दांव?

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AIMIM का सियासी दांव: महागठबंधन में शामिल होने की पेशकश- Bihar Assembly Election 2025

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले सियासी समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। AIMIM ने इस बार एक चौंकाने वाला कदम उठाया है और खुद को INDIA ब्लॉक का हिस्सा बनाने की पेशकश की है। इस कदम ने महागठबंधन के मौजूदा सहयोगी दलों में खलबली मचा दी है। महागठबंधन में पहले से ही छह दल शामिल हैं, जिनमें RJD, कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (लिबरेशन), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय राष्ट्रीय लीग, और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी शामिल हैं। इसके अलावा, मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) भी गठबंधन का हिस्सा बन चुकी है।

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अब AIMIM की इस पेशकश और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की 12-13 सीटों की मांग ने सीट बंटवारे की चुनौतियों को और जटिल कर दिया है। बिहार में कुल 243 विधानसभा सीटें हैं, और गठबंधन के सहयोगी दलों की डिमांड पहले ही 196 सीटों तक पहुंच चुकी है। कांग्रेस 70, VIP 60, माले 42, और CPI 24 सीटों की मांग कर रही है, जबकि RJD खुद 138 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। ऐसे में AIMIM को शामिल करना गठबंधन के लिए आसान नहीं होगा।

ओवैसी का पत्र: सेक्युलर वोटों को एकजुट करने की अपील- Bihar Assembly Election 2025

AIMIM के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने 2 जुलाई को लालू प्रसाद यादव को पत्र लिखकर महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा जताई। पत्र में उन्होंने 2020 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनावों का हवाला देते हुए कहा कि उनकी पार्टी पहले भी गठबंधन में शामिल होने की कोशिश कर चुकी है, लेकिन सफलता नहीं मिली। इस बार AIMIM ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अगर सेक्युलर वोटों को एकजुट किया जाए तो बिहार में NDA को सत्ता से बेदखल किया जा सकता है।

ईमान ने कहा, “हमारी पार्टी NDA को हराने के लिए गंभीर है। अगर महागठबंधन हमें साथ लेता है, तो हम सेक्युलर वोटों का बिखराव रोक सकते हैं।” AIMIM ने RJD और कांग्रेस के कुछ विधायकों से भी संपर्क साधा है और इस प्रस्ताव को विचाराधीन बताया है। हालांकि, RJD और कांग्रेस की ओर से अभी तक कोई ठोस जवाब नहीं आया है। Bihar Assembly Election 2025

महागठबंधन की दुविधा: AIMIM को शामिल करें या नहीं?- Bihar Assembly Election 2025

AIMIM की इस पेशकश ने महागठबंधन के सामने एक बड़ी दुविधा खड़ी कर दी है। एक तरफ, AIMIM को साथ लेने से मुस्लिम वोटों की मजबूत पकड़ मिल सकती है, खासकर सीमांचल क्षेत्र में, जहां AIMIM का प्रभाव है। दूसरी तरफ, सीट बंटवारे की पहले से ही जटिल स्थिति और AIMIM के ‘कट्टरपंथी’ टैग की आशंका गठबंधन के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं। Bihar Assembly Election 2025

RJD और कांग्रेस लंबे समय से AIMIM को BJP की ‘B टीम’ कहकर निशाना साधते रहे हैं। तेजस्वी यादव ने कई मौकों पर ओवैसी पर NDA के लिए वोट काटने का आरोप लगाया है। ऐसे में AIMIM को गठबंधन में शामिल करना RJD के लिए जोखिम भरा हो सकता है। अगर AIMIM को शामिल नहीं किया गया, तो सीमांचल में मुस्लिम वोटों का बिखराव NDA को फायदा पहुंचा सकता है। Bihar Assembly Election 2025

सीमांचल में AIMIM की ताकत- Bihar Assembly Election 2025

बिहार की सियासत में सीमांचल का इलाका मुस्लिम वोटों के लिहाज से बेहद अहम है। 2020 के विधानसभा चुनाव में AIMIM ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा और 5 सीटों (अमौर, बहादुरगंज, बैसी, जोकीहाट, और कोचाधामन) पर जीत हासिल की। पार्टी को कुल 5,23,279 वोट (1.24% वोट शेयर) मिले थे। हालांकि, बाद में AIMIM के चार विधायक RJD में शामिल हो गए थे, लेकिन सीमांचल में पार्टी की जमीनी पकड़ बनी रही। Bihar Assembly Election 2025

2024 के लोकसभा चुनाव में AIMIM ने 8 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और 3,82,660 वोट (0.9% वोट शेयर) हासिल किए। ओवैसी ने हाल ही में किशनगंज दौरे पर कहा था कि उनकी पार्टी 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और 24 सीटें जीतने का लक्ष्य रखेगी। यह बयान तेजस्वी यादव के लिए एक खुली चुनौती माना जा रहा है। Bihar Assembly Election 2025

ओवैसी की रणनीति: हिस्सेदारी या दिखावा?- Bihar Assembly Election 2025

AIMIM की इस पेशकश को सियासी जानकार दो तरह से देख रहे हैं। कुछ का मानना है कि ओवैसी वाकई NDA को हराने के लिए महागठबंधन के साथ गंभीरता से काम करना चाहते हैं। दूसरी ओर, कुछ इसे एक रणनीतिक दांव मान रहे हैं, जिससे ओवैसी ‘BJP की B टीम’ के आरोपों से बच सकें। अगर AIMIM को गठबंधन में शामिल नहीं किया गया, तो ओवैसी इसका इस्तेमाल विपक्ष को घेरने के लिए कर सकते हैं। Bihar Assembly Election 2025

ओवैसी ने कहा, “हम हिस्सेदारी चाहते हैं, गुलामी नहीं। मुस्लिम वोटर अब सिर्फ वोट ट्रांसफर का जरिया नहीं बनना चाहते।” यह बयान RJD और तेजस्वी यादव के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि AIMIM सत्ता में बराबर की भागीदारी चाहती है।

महागठबंधन में दरारें- Bihar Assembly Election 2025

AIMIM की पेशकश के बीच महागठबंधन के भीतर पहले से ही तनाव दिख रहा है। JMM ने 12-13 सीटों की मांग की है और इस बात से नाराज है कि उसे अब तक किसी बैठक में शामिल नहीं किया गया। कांग्रेस ने भी स्पष्ट किया है कि AIMIM ने उन्हें कोई प्रस्ताव नहीं दिया है। बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने कहा, “ओवैसी ने हमें कोई ऑफर नहीं दिया। यह सवाल उनसे पूछा जाना चाहिए।” Bihar Assembly Election 2025

वहीं, RJD नेता मृत्यंजय तिवारी ने कहा, “AIMIM का ट्रैक रिकॉर्ड BJP की B टीम का रहा है, लेकिन अब जब उन्होंने महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा जताई है, तो इसका फैसला लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव लेंगे।” Bihar Assembly Election 2025

क्या होगा सियासी नफा-नुकसान?- Bihar Assembly Election 2025

महागठबंधन के सामने अब यह सवाल है कि क्या AIMIM को शामिल करना फायदेमंद होगा। सीमांचल में AIMIM की मौजूदगी से मुस्लिम वोटों को एकजुट किया जा सकता है, जो NDA के खिलाफ एक मजबूत रणनीति हो सकती है। लेकिन अगर सीट बंटवारे में असंतुलन हुआ, तो गठबंधन के सहयोगी दलों में नाराजगी बढ़ सकती है।

दूसरी तरफ, अगर AIMIM अकेले चुनाव लड़ती है, तो वह सीमांचल की 24-30 सीटों पर प्रभाव डाल सकती है, जिससे RJD और कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। 2020 में AIMIM की वजह से RJD को सीमांचल में कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले AIMIM की पेशकश ने सियासी माहौल को गरमा दिया है। ओवैसी की यह रणनीति महागठबंधन के लिए एक अवसर और चुनौती दोनों है। अगर गठबंधन AIMIM को शामिल करता है, तो मुस्लिम वोटों की एकजुटता से NDA को कड़ी टक्कर दी जा सकती है। लेकिन अगर AIMIM को दरकिनार किया गया, तो वोटों का बिखराव गठबंधन की हार का कारण बन सकता है। अब गेंद लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव के पाले में है। क्या वे इस सियासी दांव को स्वीकार करेंगे या इसे ठुकराकर अपनी रणनीति पर कायम रहेंगे? यह देखना दिलचस्प होगा।

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