75 साल के पीएम, यादें बेमिसाल .. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 75वां जन्मदिन केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि एक ऐसी यात्रा का प्रतीक है जिसमें भारत की प्रशासनिक, सामाजिक और विकासात्मक सोच में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है। 2014 में जब उन्होंने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, तब वे केवल एक नेता नहीं, बल्कि एक परिवर्तन के सूत्रधार बनकर सामने आए। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) आज यानी 17 सितंबर 2025 को अपना 75वां जन्मदिन मना रहे हैं. उनका जन्म 17 सितंबर 1950 को गुजरात (Gujarat) के वडनगर में दामोदर दास मूलचंद मोदी और हीराबेन के घर हुआ था. पीएम मोदी (PM Modi) अपने 5 भाई-बहनों में दूसरे नंबर की संतान हैं.

बचपन में मोदी जी को नरिया कहकर पुकारा जाता था. कहा जाता है कि बचपन में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) साधु-संतों से खासा प्रभावित हुए थे और वो बचपन से ही संन्यासी बनना चाहते थे. इतना ही नहीं बचपन से ही वे आरएसएस (RSS) से जुड़ गए थे. पीएम मोदी हमेशा किसी भी काम की शुरुआत करने से पहले अपनी मां का आशीर्वाद लेना नहीं भूलते हैं

नीतियों से परे: अमल की दिशा में ठोस कदम
भारत की राजनीति में नीतियाँ बनाना नई बात नहीं है, लेकिन उन्हें ज़मीन पर उतारना हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है। नरेंद्र मोदी ने इस खाई को पाटने का काम किया। उनकी सोच स्पष्ट थी—“योजना सिर्फ फाइलों में नहीं, लोगों की ज़िंदगी में दिखनी चाहिए।”उदाहरण के लिए, स्वच्छ भारत मिशन केवल सफाई अभियान नहीं रहा; यह एक जन आंदोलन (Jan Andolan) बन गया। लोगों ने शौचालय निर्माण को सामाजिक सम्मान से जोड़ा, स्कूलों में बच्चे साफ‑सफाई के ब्रांड एंबेसडर बने और ग्रामीण भारत में व्यवहार परिवर्तन की एक नई लहर चली। यह सब संभव हुआ एक मजबूत नेतृत्व, लगातार संवाद और जमीनी निगरानी के चलते।

नौकरशाही की कार्यशैली में क्रांतिकारी बदलाव
मोदी सरकार ने भारत की नौकरशाही को पारंपरिक ‘फाइलों के बोझ’ से निकालकर ‘प्रभावी डिलीवरी सिस्टम’ की ओर अग्रसर किया। उन्होंने डिजिटल इंडिया के ज़रिए प्रशासन को जवाबदेह (accountable) और पारदर्शी (transparent) बनाने पर जोर दिया। कुछ अहम पहलें:
- JAM ट्रिनिटी (Jan Dhan, Aadhaar, Mobile) ने सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों की पहचान सुनिश्चित की, जिससे लीकेज में भारी कमी आई। DBT (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से सब्सिडी सीधे लाभार्थियों के खातों में पहुँची।
- National Single Window System (NSWS) ने उद्योगों और व्यवसायों के लिए सरकारी अनुमोदन की प्रक्रिया को एकीकृत किया—अब 30+ मंत्रालयों की सेवाएँ एक ही प्लेटफ़ॉर्म पर उपलब्ध हैं।
- Karmayogi योजना के तहत सरकारी कर्मचारियों को निरंतर डिजिटल प्रशिक्षण मिल रहा है ताकि वे समयानुकूल सेवाएँ दे सकें।
सरकारी योजनाओं को बना दिया जन भागीदारी का मंच

मोदी के शासन में कई योजनाएँ सिर्फ सरकारी घोषणाएँ नहीं रहीं, बल्कि उन्होंने जनता की भागीदारी से एक आंदोलन का रूप ले लिया
- विकसित भारत संकल्प यात्रा – एक अनूठा प्रयास जिसके तहत गाँव‑गाँव “मोदी की गारंटी वाहन” गए, और करोड़ों नागरिकों को सरकारी योजनाओं की जानकारी, सहायता और लाभ मिला।
- प्रधानमंत्री आवास योजना – अब तक 4 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों को पक्के घर मिल चुके हैं। लाभार्थियों की भागीदारी से निर्माण कार्य में पारदर्शिता और लागत‑नियंत्रण हुआ।
- जन औषधि परियोजना (PMBJP) – 10,000 से अधिक जन औषधि केंद्रों के माध्यम से आम लोगों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाइयाँ मिल रही हैं।

‘सबका साथ, सबका विकास’ से ‘सबका प्रयास’ तक
मोदी की सबसे बड़ी राजनीतिक और प्रशासनिक उपलब्धि यह रही कि उन्होंने विकास को सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी बना दिया। इसका प्रभाव यह हुआ कि योजनाओं के प्रति जनता की ‘उपेक्षा’ की जगह ‘उत्साह’ ने ले ली।अब सरकारी योजनाओं को लोग अपने अधिकार के रूप में नहीं, बल्कि अपने योगदान के रूप में देख रहे हैं।

75 वर्ष की आयु में पीएम मोदी केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि जन सहभागिता और प्रशासनिक दक्षता के प्रतीक बन चुके हैं। उन्होंने साबित किया कि योजनाएँ तब ही सफल होती हैं जब सरकार, नौकरशाही और जनता—तीनों एक साथ मिलकर चलें। मोदी की यही सोच उन्हें पारंपरिक नेताओं से अलग बनाती है—वह सिर्फ घोषणा नहीं करते, अमल करवाते हैं।
मां की मुश्किलों से निकली प्रेरणा: पीएम मोदी की योजनाओं को मिली नई दिशा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जीवन केवल राजनीतिक या प्रशासनिक यात्रा नहीं, बल्कि अनुभवों से उपजी नीतियों की एक जीवंत गाथा है। इस गाथा में सबसे महत्वपूर्ण अध्याय है उनकी मां ।उनकी मां की संघर्षशील छवि—जो मिट्टी के चूल्हे पर खाना पकाती थीं, हर रोज़ ज़रूरतों से समझौता करती थीं—पीएम मोदी के मन में गहराई से बसी रही। यही वजह है कि जब उन्हें देश की बागडोर मिली, तो उन्होंने सबसे पहले उन गृहिणियों की सुध ली, जो आज भी धुएं में खाना बनाने को मजबूर थीं।

उज्ज्वला योजना: मां के अनुभव से देश की माताओं तक
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि सम्मान की लौ है। इसका विचार तब आया जब पीएम मोदी ने अपनी मां को चूल्हे के धुएं में काम करते देखा। उनके इसी निजी अनुभव ने उन्हें प्रेरित किया कि हर गरीब महिला को गैस चूल्हा और सिलिंडर मिलना चाहिए। नतीजा – करोड़ों महिलाओं को स्वच्छ ईंधन की सुविधा मिली और उनका जीवन आसान हुआ।
महिला सशक्तिकरण की नींव – घर से लेकर संसद तक
मोदी सरकार ने महिला सशक्तिकरण को केवल नारा नहीं, नीतियों का केंद्र बनाया जन धन योजना के तहत करोड़ों महिलाओं के बैंक खाते खुले, ताकि वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें।बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान ने सामाजिक सोच में बदलाव लाया—अब बेटियों को बोझ नहीं, भविष्य माना जा रहा है।महिला आरक्षण विधेयक, जिसे दशकों से ठंडे बस्ते में डाला जा रहा था, मोदी सरकार में संसद में पारित हुआ।सुकन्या समृद्धि योजना के माध्यम से बेटियों के नाम पर बचत को प्रोत्साहन मिला।ये सभी कदम सिर्फ घोषणाएँ नहीं थे, बल्कि जमीन पर लागू होने वाली योजनाएँ बनीं।

महिलाओं का बढ़ता भरोसा: साइलेंट वोटर की ताकत
पीएम मोदी का कहना है कि महिलाएं उनकी “साइलेंट वोटर” हैं। वे प्रचार नहीं करतीं, लेकिन वोट देने ज़रूर आती हैं। बिहार विधानसभा चुनावों के बाद पीएम मोदी ने खासतौर पर महिलाओं का आभार जताया—क्योंकि महिला वोटरों की संख्या कई जगह पुरुषों से ज्यादा हो गई थी। इसका कारण साफ है: योजनाओं की प्रत्यक्ष लाभार्थी महिलाएं बनीं।

नीतियों की बुनियाद में निजी अनुभव
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में काम करने वाले अधिकारी बताते हैं कि पीएम मोदी सिर्फ योजना बनाने तक सीमित नहीं रहते। उनकी प्राथमिकता रहती है कि योजना की गहराई से समीक्षा की जाए—क्या यह वास्तव में लागू की जा सकती है? क्या ज़मीनी तंत्र इसके लिए तैयार है?यही कारण है कि मोदी सरकार की अधिकांश योजनाएँ महज़ सरकारी विज्ञापन नहीं रहीं, बल्कि लाभार्थियों तक पहुँचीं और उनका जीवन बदला।

अनुभवों से नीतियाँ, और नीतियों से बदलाव
पीएम मोदी की मां का संघर्ष केवल एक पारिवारिक कहानी नहीं रही, बल्कि एक राष्ट्र-निर्माण की प्रेरणा बन गई। उन्होंने अपनी मां के अनुभवों को देश की करोड़ों महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव में बदला। यही वो दृष्टिकोण है, जो पीएम मोदी को अन्य नेताओं से अलग करता है—वे कागज़ों में नहीं, ज़मीन पर काम करते हैं।
