नई दिल्ली: मध्य प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री कुंवर विजय शाह (VIJAY SHAH CONTROVERSY) एक बार फिर विवादों के केंद्र में हैं. इस बार मामला भारतीय सेना की वरिष्ठ अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी पर उनके द्वारा दिए गए आपत्तिजनक बयान से जुड़ा है. विजय शाह ने इंदौर के महू में 12 मई 2025 को एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर कर्नल सोफिया को “आतंकवादियों की बहन” कहकर संबोधित किया था. इस बयान ने न केवल देशभर में आक्रोश पैदा किया, बल्कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक को इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर कर दिया.
19 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एनके सिंह की दो सदस्यीय पीठ ने विजय शाह को कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने शाह की माफी को खारिज करते हुए कहा, “आपने बिना सोचे-समझे आपत्तिजनक बयान दिया और अब माफी मांग रहे हैं. हमें आपकी माफी नहीं चाहिए.” कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि दोबारा माफी मांगने पर इसे अदालत की अवमानना माना जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख और SIT जांच के आदेश (VIJAY SHAH CONTROVERSY)
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए विशेष जांच समिति (SIT) के गठन का आदेश दिया. कोर्ट ने निर्देश दिया कि SIT में तीन वरिष्ठ IPS अधिकारी शामिल होंगे, जिनमें से एक महिला IPS अधिकारी होगी. ये अधिकारी मध्य प्रदेश कैडर के होंगे, लेकिन मध्य प्रदेश से संबंधित नहीं होने चाहिए. SIT का नेतृत्व एक IG या DGP रैंक का अधिकारी करेगा, और बाकी दो सदस्य SP या उससे ऊपर के रैंक के होंगे.
कोर्ट ने मध्य प्रदेश के DGP को 20 मई 2025 की रात 10 बजे तक SIT गठन करने का आदेश दिया. साथ ही, यह भी स्पष्ट किया कि विजय शाह को जांच में पूरा सहयोग करना होगा. हालांकि, कोर्ट ने शाह की तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी, लेकिन यह जोड़ा कि कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाएगा. SIT को अपनी पहली स्थिति रिपोर्ट 28 मई 2025 को कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया गया है.
“घड़ियाली आंसू नहीं चाहिए” – सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणी (VIJAY SHAH CONTROVERSY)
सुनवाई के दौरान विजय शाह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने दलील दी कि शाह ने अपने बयान के लिए माफी मांगी है. इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, “आपकी माफी कहां है? आप घड़ियाली आंसू बहाना चाहते हैं? इस तरह की भद्दी टिप्पणी करने के बाद आप माफी की बात करते हैं.” कोर्ट ने शाह के बयान को गैर-जिम्मेदाराना और संवेदनशीलता की कमी वाला बताया.
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “आप एक सार्वजनिक व्यक्ति और अनुभवी राजनेता हैं. आपको अपने शब्दों पर ध्यान देना चाहिए. यह मामला सशस्त्र बलों से जुड़ा है, और इसकी टाइमिंग बेहद संवेदनशील है. आपने पूरे देश को दुख पहुंचाया है.” कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या शाह ने अपना वीडियो देखा है, जिसमें उन्होंने आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया था.
मध्य प्रदेश पुलिस और सरकार पर भी सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार और पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाए. कोर्ट ने पूछा, “हाई कोर्ट के हस्तक्षेप से पहले आपने क्या किया? FIR दर्ज करने में इतनी देरी क्यों हुई?” कोर्ट ने यह भी नोट किया कि पुलिस ने FIR में विजय शाह के नाम के आगे “श्री” लिखकर उन्हें सम्मान देने की कोशिश की, जिसे हाई कोर्ट ने पहले ही गलत ठहराया था.
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 14 मई 2025 को इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया था और DGP को चार घंटे के भीतर FIR दर्ज करने का आदेश दिया था. हाई कोर्ट ने FIR की ड्राफ्टिंग पर भी आपत्ति जताई थी, जिसमें अपराध का जिक्र नहीं था. कोर्ट ने इसे “छल” करार देते हुए पुलिस को FIR में सुधार करने का निर्देश दिया था.
कर्नल सोफिया कुरैशी और ऑपरेशन सिंदूर
कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की एक वरिष्ठ अधिकारी हैं, जिन्होंने “ऑपरेशन सिंदूर” के बारे में मीडिया को जानकारी दी थी. यह ऑपरेशन पाकिस्तान के खिलाफ एक महत्वपूर्ण सैन्य कार्रवाई थी, जिसने देशभर में कर्नल सोफिया को सुर्खियों में ला दिया. उनके साहस और समर्पण की देशभर में सराहना हुई, लेकिन विजय शाह के बयान ने इस उपलब्धि पर विवाद खड़ा कर दिया.
विजय शाह ने अपने बयान में कथित तौर पर कहा था, “हमने उनकी बहन भेजकर उनकी ऐसी-तैसी करवाई.” यह बयान पाकिस्तानी आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई के संदर्भ में था, लेकिन इसे कर्नल सोफिया से जोड़कर देखा गया. इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद देशभर में विरोध शुरू हो गया.
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं
विजय शाह के बयान के बाद मध्य प्रदेश में सियासी हलचल तेज हो गई. विपक्षी कांग्रेस ने इस मामले को जोर-शोर से उठाया और शाह को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शाह को हटाने की अपील की. मध्य प्रदेश कांग्रेस के नेता जीतू पटवारी और उमंग सिंघार ने भी सरकार पर निशाना साधा.
महिला कांग्रेस ने भोपाल में विजय शाह के बंगले के बाहर प्रदर्शन किया और उनके इस्तीफे की मांग की. इंदौर में एक महिला पार्षद ने शाह का मुंह काला करने वाले को 51,000 रुपये का इनाम देने की घोषणा की. दूसरी ओर, बीजेपी ने इस मामले में सतर्क रुख अपनाया. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शाह से स्पष्टीकरण मांगा, और पार्टी के कुछ नेताओं ने इसे व्यक्तिगत बयान करार दिया.
विजय शाह का इतिहास और विवाद
विजय शाह मध्य प्रदेश के खंडवा जिले की हरसूद विधानसभा सीट से आठ बार के विधायक हैं. वह पहली बार 1990 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीते थे. जनजातीय कार्य मंत्री के रूप में उनकी सक्रियता के बावजूद, वह पहले भी महिलाओं पर आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए विवादों में रह चुके हैं. इस बार, हालांकि, मामला सेना और राष्ट्रीय गौरव से जुड़ा होने के कारण ज्यादा गंभीर हो गया है.
ये भी पढ़ें- High Salary Jobs in UP: यूपी में विदेशी निवेश की बहार! 2 लाख हाई-पे जॉब्स का रास्ता तैयार
सोर्स- TV9