NNS Exclusive:सुप्रीम कोर्ट में ₹2.68 करोड़ में बनी कांच की दीवार एक साल में ही हटी, गिराने में आया इतना खर्च- Supreme Court Glass Wall

Supreme Court Glass Wall

NNS Exclusive: देश की सर्वोच्च न्यायपालिका, सुप्रीम कोर्ट, इन दिनों एक फैसले को लेकर सुर्खियों में है—और यह कोई कानूनी फैसला नहीं बल्कि एक भौतिक बदलाव है, जो अब चर्चा और सवालों के घेरे में आ गया है।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट परिसर में वर्ष 2023 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ के निर्देश पर पांच ऐतिहासिक अदालतों के बाहर कांच की दीवारें लगाई गई थीं। दावा था कि यह आधुनिकीकरण और एयर कंडीशनिंग के लिए आवश्यक है। लेकिन यह दीवारें न तो विचारधारा में फिट बैठीं और न ही व्यवहार में। नतीजा—सालभर बाद ही इन्हें हटाने का फैसला ले लिया गया, और इस पूरी कवायद में करोड़ों रुपये खर्च हो गए। Supreme Court Glass Wall

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💰 कांच लगाने और फिर हटाने में खर्च हुए 2.68 करोड़ रुपये- Supreme Court Glass Wall

RTI से मिली जानकारी के मुताबिक, इन कांच की दीवारों को लगाने में कुल ₹2.59 करोड़ का खर्च आया। यह कार्य M/s बीएम गुप्ता एंड सन्स द्वारा CPWD के ई-टेंडर के माध्यम से करवाया गया था। जब इन्हें हटाने की बारी आई तो उस पर ₹8.63 लाख का अतिरिक्त खर्च हुआ। इस प्रकार कुल ₹2.68 करोड़ की सार्वजनिक धनराशि एक साल के भीतर ही पानी की तरह बहा दी गई।

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🛑 बार संघों का विरोध और बढ़ती अव्यवस्था

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) ने इस फैसले का खुला विरोध किया था। उनके अनुसार,

  • कांच की दीवारों से गलियारों की चौड़ाई घट गई।
  • वकीलों और आमजनों के लिए एक कोर्ट से दूसरी कोर्ट पहुंचना मुश्किल हो गया।
  • फैसले में कोई परामर्श नहीं लिया गया, जिससे न्यायिक भागीदारी पर भी सवाल खड़े हुए।

🔁 बदलाव पलटा, पुरानी पहचान लौटी

CJI डीवाई चंद्रचूड़ के कार्यकाल के बाद, उनके उत्तराधिकारियों CJI संजीव खन्ना और वर्तमान CJI बीआर गवई के सामने बार एसोसिएशन ने दीवारें हटाने की मांग रखी।
जून 2025 में फुल कोर्ट (सभी जजों की बैठक) ने सर्वसम्मति से तय किया कि कांच की दीवारें हटाई जाएं और सुप्रीम कोर्ट को उसके “मूल स्वरूप” में लौटाया जाए।

🇮🇳 लोगो भी वापस पुराने स्वरूप में- Supreme Court Glass Wall

सिर्फ दीवारें ही नहीं, पूर्व CJI चंद्रचूड़ द्वारा बदला गया सुप्रीम कोर्ट का लोगो भी पलटा गया है। अब फिर से केंद्र में भारत का राजचिह्न वाला पुराना लोगो बहाल कर दिया गया है।

सोर्स- AAJ TAK

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