Shubhanshu Shukla Return: भारत के लिए 15 जुलाई 2025 का दिन इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया, जब भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी की। Axiom-4 मिशन के तहत यह यात्रा न केवल भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक मील का पत्थर है, बल्कि यह देश के युवाओं के लिए प्रेरणा का एक नया स्रोत भी बन गया है। शुभांशु शुक्ला, जो भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री हैं जिन्होंने ISS पर कदम रखा, ने 18 दिन अंतरिक्ष में बिताए और कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग किए। उनकी इस उपलब्धि ने भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन की नींव को और मजबूत किया है।

Axiom-4 मिशन: भारत की अंतरिक्ष यात्रा में नया अध्याय- Shubhanshu Shukla Return
Axiom-4 मिशन एक निजी अंतरिक्ष मिशन है, जिसे अमेरिकी कंपनी स्पेसएक्स और Axiom Space ने संयुक्त रूप से संचालित किया। इस मिशन में चार अंतरिक्ष यात्री शामिल थे, जिनमें शुभांशु शुक्ला मिशन पायलट की भूमिका में थे। उनके साथ थे कमांडर पैगी व्हिटसन (अमेरिका), मिशन स्पेशलिस्ट स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की (पोलैंड), और टिबोर कापु (हंगरी)। यह मिशन भारत, पोलैंड, और हंगरी के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण था, क्योंकि इन देशों ने चार दशकों बाद अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर अपनी उपस्थिति दर्ज की।
Lucknow: Group Captain Shubhanshu Shukla’s family rejoices as the Axiom-4 Dragon spacecraft safely returns to Earth.#ShubhanshuShukla | #AxiomMission4 | #Axiom pic.twitter.com/b1EgIIw3su
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25 जून 2025 को फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट के जरिए लॉन्च हुआ ड्रैगन ग्रेस स्पेसक्राफ्ट 26 जून को ISS के हार्मनी मॉड्यूल से जुड़ा। इस मिशन के दौरान शुभांशु और उनकी टीम ने 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिनमें भारत के सात प्रयोग शामिल थे। इन प्रयोगों में माइक्रोग्रैविटी में मेथी और मूंग के बीज उगाने से लेकर सूक्ष्म शैवाल (माइक्रोएल्गी) पर शोध शामिल था, जो भविष्य की लंबी अंतरिक्ष यात्राओं के लिए खाद्य स्रोत के रूप में महत्वपूर्ण हो सकता है।

पृथ्वी पर वापसी: एक रोमांचक यात्रा- Shubhanshu Shukla Return
14 जुलाई 2025 को, भारतीय समयानुसार दोपहर 2:50 बजे, ड्रैगन ग्रेस स्पेसक्राफ्ट का हैच बंद हुआ, और शाम 4:45 बजे यह ISS से अनडॉक हुआ। लगभग 22.5 घंटे की यात्रा के बाद, 15 जुलाई को दोपहर 3:02 बजे, स्पेसक्राफ्ट ने कैलिफोर्निया के सैन डिएगो तट पर प्रशांत महासागर में स्प्लैशडाउन किया। इस प्रक्रिया में 5.7 किलोमीटर की ऊंचाई पर ड्रोग पैराशूट और 2 किलोमीटर की ऊंचाई पर मेन पैराशूट्स ने स्पेसक्राफ्ट को सुरक्षित रूप से समुद्र में उतारा। Shubhanshu Shukla Return
🚨 ब्रेकिंग एक्स पोस्ट 🚨
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🔴 भारत के पहले IASS यात्री शुभांशु शुक्ला ने Axiom-4 मिशन से धरती पर की वापसी!
🔴 स्पेसएक्स का ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट कैलिफ़ोर्निया तट पर सफलतापूर्वक स्प्लैशडाउन
🔴 क्रू में शामिल रहे पैगी व्हिट्सन, स्लावोश, टिबोर कापु और भारत के शुभांशु शुक्ला
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वापसी की प्रक्रिया अत्यंत जटिल थी। ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट ने कई डिपार्चर बर्न्स किए, जिससे इसकी कक्षा को धीरे-धीरे पृथ्वी की ओर समायोजित किया गया। डी-ऑर्बिट बर्न ने स्पेसक्राफ्ट को पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश के लिए तैयार किया, और हीट शील्ड ने हजारों डिग्री के तापमान को सहन करते हुए अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित रखा। स्प्लैशडाउन के बाद, सभी चार अंतरिक्ष यात्रियों को रिकवरी टीम ने सुरक्षित निकाला, और उन्हें सात से दस दिनों के लिए रिहैबिलिटेशन सेंटर में भेजा गया, ताकि वे पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में फिर से ढल सकें। Shubhanshu Shukla Return
शुभांशु शुक्ला: भारत का गर्व- Shubhanshu Shukla Return
लखनऊ में जन्मे 39 वर्षीय शुभांशु शुक्ला भारतीय वायुसेना के अनुभवी टेस्ट पायलट हैं। वे ISRO के गगनयान मिशन के लिए चुने गए चार गगनयात्रियों में से एक हैं। उनकी इस उपलब्धि ने 1984 में राकेश शर्मा की अंतरिक्ष यात्रा के बाद भारत को फिर से वैश्विक अंतरिक्ष मंच पर स्थापित किया। ISS पर अपने प्रवास के दौरान, शुभांशु ने सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में प्रयोग किए, जैसे कि पानी के व्यवहार का अध्ययन और शून्य-गुरुत्वाकर्षण में भौतिकी के प्रभावों का प्रदर्शन।
उन्होंने अपने पहले संदेश में कहा, “नमस्कार दोस्तों, मैं अंतरिक्ष से बोल रहा हूँ। अपने साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ यहाँ आकर बहुत अच्छा लग रहा है। मेरे कंधे पर तिरंगा है, जो मुझे याद दिलाता है कि मैं अकेला नहीं हूँ, बल्कि पूरे भारत के साथ हूँ।” उनकी यह बात देशवासियों के दिलों को छू गई। Shubhanshu Shukla Return
Watch 📹: Visuals show IAF Group Captain Shubhanshu Shukla and the entire crew returned safely with a splashdown off the coast of California after an 18-day stay aboard the International Space Station (#ISS).#ShubhanshuShukla | #AxiomMission4 | #Axiom pic.twitter.com/Wv1uRWcKYu
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भारत के लिए महत्व- Shubhanshu Shukla Return
Axiom-4 मिशन न केवल एक वैज्ञानिक उपलब्धि है, बल्कि यह भारत के अंतरराष्ट्रीय सहयोग और तकनीकी क्षमता का प्रतीक भी है। इस मिशन में NASA, ISRO, और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के बीच सहयोग देखने को मिला। शुभांशु की यात्रा ने भारत के गगनयान मिशन के लिए महत्वपूर्ण अनुभव प्रदान किया, जो 2027 में लॉन्च होने की संभावना है। यह मिशन भारत को स्वदेशी तकनीक से अंतरिक्ष में मानव भेजने वाला चौथा देश बना सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुभांशु की वापसी पर उन्हें बधाई देते हुए कहा, “यह उपलब्धि हमारे गगनयान मिशन की दिशा में एक और मील का पत्थर है। शुभांशु ने अपने साहस और समर्पण से अरबों सपनों को प्रेरित किया है।” उनकी इस यात्रा ने न केवल वैज्ञानिक समुदाय को प्रेरित किया, बल्कि देश के युवाओं को यह विश्वास दिलाया कि मेहनत और लगन से कोई भी सपना असंभव नहीं है।
वापसी की टाइमलाइन (सारणी)
तारीख | समय (IST) | इवेंट |
---|---|---|
14 जुलाई 2025 | 2:50 PM | ड्रैगन हैच बंद हुआ |
14 जुलाई 2025 | 4:45 PM | ISS से स्वचालित अनडॉकिंग |
14 जुलाई 2025 | 4:40 PM | डिपार्चर बर्न 1 |
14 जुलाई 2025 | 5:28 PM | डिपार्चर बर्न 2 |
14 जुलाई 2025 | 6:15 PM | डिपार्चर बर्न 3 |
15 जुलाई 2025 | 2:07 PM | डी-ऑर्बिट बर्न |
15 जुलाई 2025 | 2:57 PM | ड्रोग पैराशूट डिप्लॉय |
15 जुलाई 2025 | 2:58 PM | मेन पैराशूट डिप्लॉय |
15 जुलाई 2025 | 3:02 PM | सैन डिएगो तट पर स्प्लैशडाउन |
भविष्य की संभावनाएँ
शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए एक नया द्वार खोलती है। उनके द्वारा किए गए प्रयोग, जैसे माइक्रोएल्गी पर शोध, भविष्य में चंद्रमा या मंगल की यात्राओं के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं। इसके अलावा, इस मिशन ने निजी अंतरिक्ष यात्रा को बढ़ावा देने में भी योगदान दिया है। Axiom Space की योजना भविष्य में एक वाणिज्यिक अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की है, जिसमें भारत जैसे देशों की भागीदारी महत्वपूर्ण होगी।