Shubhanshu Shukla Astronaut: शुभांशु शुक्ला ने रचा इतिहास: एक्सिओम-4 मिशन से अंतरिक्ष की उड़ान, भारत के लिए गर्व का पल

Shubhanshu Shukla Astronaut

Shubhanshu Shukla Astronaut: 25 जून 2025 की तारीख भारतीय अंतरिक्ष इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गई, जब लखनऊ के युवा और भारतीय वायुसेना के जांबाज फाइटर पायलट शुभांशु शुक्ला ने Axiom-4 मिशन के तहत अंतरिक्ष की ओर उड़ान भरी। यह मिशन स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट के जरिए अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से दोपहर 12:01 बजे भारतीय समयानुसार लॉन्च किया गया। यह ऐतिहासिक मिशन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर बढ़ते भारत के एक और कदम का प्रतीक है।

मिशन Axiom-4 की खासियत- Shubhanshu Shukla Astronaut

Axiom-4 मिशन एक प्राइवेट अंतरिक्ष उड़ान है, जो चार अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर ISS की ओर रवाना हुआ। शुभांशु शुक्ला इस मिशन में पायलट की भूमिका निभा रहे हैं। उनके साथ तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री भी शामिल हैं—नासा की पूर्व अंतरिक्ष यात्री और इस मिशन की कमांडर पैगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोज उज़्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी के टिबोर कपू।

Axiom-4 मिशन को खास बनाने वाली बात यह है कि यह मिशन पूरी तरह निजी कंपनी Axiom Space द्वारा आयोजित किया गया है, जिसमें तकनीकी सहायता SpaceX द्वारा दी जा रही है। Shubhanshu Shukla Astronaut

xiom-4 मिशन का अवलोकन- Shubhanshu Shukla Astronaut

Axiom-4 मिशन नासा, स्पेसएक्स, और Axiom Space के सहयोग से शुरू किया गया चौथा निजी अंतरिक्ष मिशन है। इस मिशन का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी प्रयोगों को बढ़ावा देना है। मिशन में चार अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं, जिनमें शुभांशु शुक्ला पायलट की भूमिका निभा रहे हैं। अन्य तीन यात्री हैं:

  • पैगी व्हिटसन: नासा की पूर्व अंतरिक्ष यात्री और इस मिशन की कमांडर।
  • स्लावोज उज़्नान्स्की-विस्नीव्स्की: पोलैंड के यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के अंतरिक्ष यात्री।
  • टिबोर कपू: हंगरी के HUNOR प्रोग्राम के अंतरिक्ष यात्री।

यह मिशन स्पेसएक्स के ड्रैगन अंतरिक्ष यान के जरिए ISS तक पहुंचेगा। लॉन्च के लगभग 28 घंटे बाद, यानी 26 जून 2025 को शाम 4:30 बजे (IST), यह यान ISS के साथ डॉक करने वाला है।

30 हजार किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान- Shubhanshu Shukla Astronaut

फाल्कन-9 रॉकेट की मदद से लॉन्च हुए इस मिशन ने लगभग 30,000 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरी। उम्मीद की जा रही है कि यह यान भारतीय समयानुसार गुरुवार शाम 4:30 बजे ISS पर डॉक करेगा। नासा, स्पेसएक्स और Axiom Space की साझा निगरानी में यह मिशन पूरी तरह नियंत्रित और सुरक्षित तरीके से संचालित हो रहा है। Shubhanshu Shukla Astronaut

शुभांशु शुक्ला: एक प्रेरणादायक सफर- Shubhanshu Shukla Astronaut

लखनऊ में जन्मे शुभांशु शुक्ला की शुरुआती शिक्षा सिटी मॉन्टेसरी स्कूल से हुई। इसके बाद उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एम.टेक किया। साल 2006 में वह भारतीय वायुसेना में शामिल हुए और एक कुशल फाइटर पायलट के रूप में Su-30 MKI, मिग-21, मिग-29, जगुआर, डोनियर और हॉक जैसे विमानों को उड़ाया। उन्हें 2,000 घंटे से अधिक का फ्लाइंग अनुभव है।

2019 में शुभांशु ने ISRO के गगनयान मिशन के लिए आवेदन किया था, और चार अधिकारियों में से एक के रूप में चयनित हुए। उन्होंने रूस और बेंगलुरु में कठोर प्रशिक्षण प्राप्त किया, जिससे उनकी अंतरिक्ष यात्रा की नींव मजबूत हुई। Shubhanshu Shukla Astronaut

लॉन्चिंग में देरी के पीछे कारण- Shubhanshu Shukla Astronaut

Axiom-4 मिशन को लॉन्च किए जाने में कई बार देरी हुई। पहले खराब मौसम, फिर फाल्कन-9 रॉकेट की तकनीकी समीक्षा और अंत में ISS के रूसी मॉड्यूल में रिसाव के कारण इस मिशन को कई बार टालना पड़ा। पहले यह मिशन 29 मई को लॉन्च होना था, फिर 8 जून, 10 जून और 11 जून को संभावित तारीखें आईं, लेकिन अंततः 25 जून को लॉन्च सफल हुआ। Shubhanshu Shukla Astronaut

अंतरिक्ष मिशन का भारत पर प्रभाव- Shubhanshu Shukla Astronaut

शुभांशु की उड़ान भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यह भारत की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमता और वैश्विक अंतरिक्ष सहयोग में उसकी भागीदारी का प्रमाण है। ISRO पहले ही गगनयान मिशन की दिशा में काम कर रहा है और ऐसे निजी अंतरिक्ष उड़ान अभियानों में भारतीय भागीदारी भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जा रही है।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रतीक- Shubhanshu Shukla Astronaut

Axiom-4 मिशन इस बात का प्रमाण है कि आज की दुनिया में अंतरिक्ष अन्वेषण सिर्फ सरकारी एजेंसियों तक सीमित नहीं रह गया है। निजी कंपनियों के सहयोग से अंतरिक्ष अनुसंधान और यात्राएं अब तेजी से संभव हो रही हैं। Axiom Space, SpaceX और NASA का यह साझेदारी मॉडल आने वाले वर्षों में और भी अधिक निजी अंतरिक्ष मिशनों का मार्ग प्रशस्त करेगा।

शुभांशु के मिशन से क्या उम्मीदें हैं?

इस मिशन में वैज्ञानिक प्रयोगों से लेकर जीवन-सम्बंधी तकनीकी परीक्षण तक कई कार्य होंगे। अंतरिक्ष में 28 घंटे की यात्रा के बाद शुभांशु और उनका दल ISS में प्रवेश करेंगे, जहां वे कुछ दिन रहकर विभिन्न मिशनों को अंजाम देंगे। यह मिशन आने वाले भारतीय गगनयान मिशन के लिए भी उपयोगी अनुभव साबित होगा।

SOURCE- TV9 HINDI

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