Rajnath Singh China Visit: गलवान ना दोहराया जाए; चीन से बोले राजनाथ, चार सूत्रीय योजना से रखी भरोसे की नींव

Rajnath Singh China Visit

Rajnath Singh China Visit: भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 25-27 जून 2025 को चीन के किंगदाओ शहर में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने अपने चीनी समकक्ष एडमिरल डोंग जून के साथ द्विपक्षीय वार्ता में भारत-चीन संबंधों को मजबूत करने और सीमा पर शांति स्थापित करने के लिए एक चार सूत्री फॉर्मूला पेश किया। साथ ही, उन्होंने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का मुद्दा उठाकर भारत के जीरो-टॉलरेंस नीति को स्पष्ट किया। इस लेख में हम इस बैठक, चार सूत्री फॉर्मूले, 2024 के डिसएंगेजमेंट प्लान और गलवान घाटी संघर्ष की पृष्ठभूमि पर विस्तार से चर्चा करेंगे। Rajnath Singh China Visit

SCO बैठक: एक महत्वपूर्ण मंच- Rajnath Singh China Visit

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) एक क्षेत्रीय संगठन है, जिसमें भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान और बेलारूस जैसे देश शामिल हैं। 2001 में स्थापित यह संगठन क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई पर केंद्रित है। 2025 में चीन की अध्यक्षता में यह बैठक किंगदाओ में आयोजित हुई, जिसमें भारत ने न केवल क्षेत्रीय स्थिरता पर अपने विचार रखे बल्कि आतंकवाद और सीमा विवाद जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भी खुलकर बात की। Rajnath Singh China Visit

राजनाथ सिंह ने इस मंच का उपयोग न केवल भारत-चीन संबंधों को बेहतर करने के लिए किया बल्कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को वैश्विक मंच पर उजागर करने का भी मौका लिया। उनकी यह यात्रा 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद भारत और चीन के बीच तनाव कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम थी।

चार सूत्री फॉर्मूला: भारत की रणनीति- Rajnath Singh China Visit

राजनाथ सिंह ने चीनी रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून के साथ अपनी बैठक में एक चार सूत्री फॉर्मूला प्रस्तुत किया, जिसका उद्देश्य भारत-चीन सीमा पर स्थायी शांति और द्विपक्षीय संबंधों में सुधार लाना है। यह फॉर्मूला निम्नलिखित बिंदुओं पर आधारित है:

  1. 2024 के डिसएंगेजमेंट प्लान का पालन: भारत और चीन ने अक्टूबर 2024 में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पेट्रोलिंग व्यवस्था को लेकर एक समझौता किया था। इस समझौते का उद्देश्य पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और देपसांग जैसे क्षेत्रों में सैन्य गतिरोध को समाप्त करना था। राजनाथ सिंह ने इस प्लान के सख्ती से पालन पर जोर दिया, ताकि दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली हो।
  2. तनाव कम करने के लिए निरंतर प्रयास: सीमा पर तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों को लगातार संवाद बनाए रखना होगा। यह बिंदु सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर नियमित बातचीत की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
  3. सीमांकन और परिसीमन को गति देना: भारत ने सीमा पर स्पष्ट सीमांकन (Demarcation) और परिसीमन (Delimitation) के लक्ष्य को जल्द से जल्द प्राप्त करने की वकालत की। इससे LAC पर विवाद की संभावनाएं कम होंगी और भविष्य में गलवान जैसी घटनाएं टाली जा सकेंगी।
  4. विशेष प्रतिनिधि प्रणाली का उपयोग: मतभेदों को सुलझाने और संबंधों को बेहतर बनाने के लिए मौजूदा विशेष प्रतिनिधि स्तर की प्रणाली का उपयोग करने का प्रस्ताव रखा गया। यह प्रणाली भारत और चीन के बीच लंबे समय से चली आ रही है और इसका उपयोग दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली के लिए किया जा सकता है।

इस फॉर्मूले का प्रस्ताव भारत की उस नीति को दर्शाता है, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता से कोई समझौता किए बिना पड़ोसी देशों के साथ शांति और सहयोग को प्राथमिकता दी जाती है। Rajnath Singh China Visit

2024 का डिसएंगेजमेंट प्लान: पृष्ठभूमि और महत्व- Rajnath Singh China Visit

2024 का डिसएंगेजमेंट प्लान भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में LAC पर तनाव कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस समझौते के तहत दोनों देशों ने डेमचोक और देपसांग जैसे क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी और पेट्रोलिंग व्यवस्था को सामान्य करने पर सहमति जताई। यह समझौता 21 अक्टूबर 2024 को अंतिम रूप से लागू हुआ, जिसके बाद दोनों देशों के बीच सैन्य गतिरोध प्रभावी रूप से समाप्त हो गया। Rajnath Singh China Visit

इस प्लान का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह गलवान घाटी संघर्ष के बाद भारत और चीन के बीच पहला ठोस कदम था, जिसने दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली की प्रक्रिया शुरू की। राजनाथ सिंह ने अपनी बैठक में इस बात पर जोर दिया कि इस प्लान का पालन न केवल सीमा पर शांति सुनिश्चित करेगा बल्कि दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक सहयोग की नींव भी रखेगा।

गलवान घाटी संघर्ष: एक तनावपूर्ण इतिहास- Rajnath Singh China Visit

2020 में भारत और चीन के बीच संबंधों में उस समय गहरा तनाव आया, जब मई 2020 में पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग झील क्षेत्र में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई। यह तनाव 15 जून 2020 को गलवान घाटी में और बढ़ गया, जब दोनों देशों के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष हुआ। इस घटना में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए, जबकि चीन ने अपने नुकसान की जानकारी साझा नहीं की। हालांकि, कई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों में दावा किया गया कि चीन को भी भारी नुकसान हुआ था।

गलवान संघर्ष ने भारत-चीन संबंधों को चरम तनाव की स्थिति में ला दिया। इसके बाद दोनों देशों ने सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर कई दौर की वार्ता की, जिसके परिणामस्वरूप फरवरी 2021 में तनाव कम करने की प्रक्रिया शुरू हुई। अक्टूबर 2024 तक दोनों देशों ने डिसएंगेजमेंट प्लान को अंतिम रूप दिया, जो दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था। Rajnath Singh China Visit

आतंकवाद पर भारत का कड़ा रुख

राजनाथ सिंह ने SCO बैठक में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया। उन्होंने 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र किया, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की शाखा द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली थी। Rajnath Singh China Visit

रक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ जीरो-टॉलरेंस की नीति अपनाता है और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी कार्रवाइयों के जरिए सीमा पार आतंकवाद का मुंहतोड़ जवाब देगा। ऑपरेशन सिंदूर, जिसे 7 मई 2025 को अंजाम दिया गया, आतंकवादी ढांचे को नष्ट करने और भारत की आत्मरक्षा की नीति का हिस्सा था।

SCO संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर से इनकार

SCO बैठक में एक महत्वपूर्ण घटना तब हुई, जब राजनाथ सिंह ने संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। इस बयान में पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र नहीं था, जबकि बलूचिस्तान का उल्लेख कर भारत पर अप्रत्यक्ष रूप से अशांति फैलाने का आरोप लगाया गया था। भारत ने इसे आतंकवाद के मुद्दे को कमजोर करने की साजिश माना और दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस निर्णय का समर्थन करते हुए कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपने दृढ़ रुख पर कायम है और किसी भी ऐसे दस्तावेज को स्वीकार नहीं करेगा जो इस रुख को कमजोर करता हो।

कैलाश मानसरोवर यात्रा का पुनरारंभ

बैठक के दौरान राजनाथ सिंह ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के छह साल बाद फिर से शुरू होने पर खुशी जताई। यह यात्रा 2020 में कोविड-19 महामारी और गलवान संघर्ष के कारण निलंबित कर दी गई थी। इस तीर्थयात्रा का हिंदू, जैन और बौद्ध समुदायों के लिए विशेष धार्मिक महत्व है। इसका पुनरारंभ दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने का एक सकारात्मक संकेत है।

मधुबनी पेंटिंग: सांस्कृतिक कूटनीति

बैठक के अंत में राजनाथ सिंह ने एडमिरल डोंग जून को बिहार की पारंपरिक मधुबनी पेंटिंग भेंट की। यह पेंटिंग मिथिला कला के लिए जानी जाती है, जिसमें चमकीले रंगों और जटिल पैटर्न का उपयोग होता है। इस उपहार के जरिए भारत ने सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा देने की कोशिश की, जो दोनों देशों के बीच सकारात्मक संवाद का प्रतीक है।

राजनाथ सिंह की चीन यात्रा और SCO बैठक में उनकी सक्रिय भागीदारी ने भारत की कूटनीतिक और रणनीतिक ताकत को दर्शाया। चार सूत्री फॉर्मूले के जरिए भारत ने न केवल सीमा विवाद सुलझाने की दिशा में ठोस कदम उठाए बल्कि आतंकवाद के खिलाफ अपनी जीरो-टॉलरेंस नीति को भी मजबूती से रखा। गलवान घाटी संघर्ष के बाद तनावपूर्ण रहे भारत-चीन संबंधों में यह बैठक एक नई शुरुआत की उम्मीद जगाती है। साथ ही, कैलाश मानसरोवर यात्रा का पुनरारंभ और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे कदम दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली की दिशा में महत्वपूर्ण हैं।

SOURCE- TIMES OF INDIA

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