नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव (INDIA PAKISTAN TENSION) एक बार फिर चरम पर है. इस बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आवास पर अहम मुलाकात की. केंद्र सरकार आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की रणनीति बनाने में जुटी हुई है. सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी बीते 24 घंटों में दूसरी बार एनएसए डोभाल से मिल चुके हैं. यह मुलाकात ऐसे समय हुई है जब देशभर में 7 मई को बड़े पैमाने पर मॉक ड्रिल का आयोजन होने जा रहा है, जिसका उद्देश्य आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए सुरक्षा तैयारियों को परखना है.
हमले के बाद हाई-लेवल मीटिंग का दौर
प्रधानमंत्री मोदी पहलगाम हमले के बाद से लगातार उच्च स्तरीय बैठकों की अध्यक्षता कर रहे हैं. उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, एनएसए अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और सेना, नौसेना और वायुसेना प्रमुखों के साथ कई बार बैठकें की हैं. इन बैठकों का मुख्य उद्देश्य लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ संभावित सैन्य कार्रवाई की रणनीति बनाना है. सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री ने सशस्त्र बलों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे भारत की प्रतिक्रिया की प्रकृति, लक्ष्य और समय तय करने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र हैं. (INDIA PAKISTAN TENSION)
मॉक ड्रिल को लेकर गृह मंत्रालय सक्रिय
देशभर में 7 मई को होने वाली मॉक ड्रिल को लेकर केंद्र सरकार पूरी तरह सतर्क है. दिल्ली में केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तैयार रहने के निर्देश दिए गए. बताया जा रहा है कि यह मॉक ड्रिल 1971 के बाद पहली बार इतने बड़े स्तर पर की जा रही है. उस वर्ष भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था. इस बार मॉक ड्रिल में एयर रेड सायरन, ब्लैकआउट, आपात निकासी जैसी गतिविधियां शामिल होंगी. नागरिकों, खासकर छात्रों को सुरक्षा उपायों की जानकारी दी जाएगी.
पहलगाम आतंकी हमले ने देश को झकझोर दिया
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था. इस हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे. इस हमले ने 2019 के पुलवामा हमले की भयावहता की याद दिला दी, जिसमें 40 जवान शहीद हुए थे. सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक इस हमले के पीछे पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का हाथ हो सकता है. हमले के बाद से नियंत्रण रेखा (LoC) और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई है.
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