MOHAN BHAGWAT ON PAKISTAN: “दुनिया आपकी ताकत देख चुकी है”: मोहन भागवत का पाकिस्तान पर दो टूक संदेश

MOHAN BHAGWAT ON PAKISTAN

जयपुर, राजस्थान: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत (MOHAN BHAGWAT ON PAKISTAN) ने एक बार फिर भारत की शक्ति और भूमिका को वैश्विक मंच पर स्पष्ट करते हुए, पाकिस्तान पर दो टूक संदेश दिया. जयपुर के हरमाड़ा स्थित रविनाथ आश्रम में आयोजित सम्मान समारोह में उन्होंने कहा कि “दुनिया प्रेम और शांति की भाषा तभी सुनती है जब आपके पास शक्ति होती है.”

MOHAN BHAGWAT ON PAKISTANभारत विश्व का सबसे प्राचीन राष्ट्र- भागवत

डॉ. भागवत ने कहा कि भारत विश्व का सबसे प्राचीन राष्ट्र है, जिसकी भूमिका बड़े भाई जैसी है. उन्होंने बताया कि भारत शांति और सौहार्द का संदेश देता है लेकिन यह संदेश भी तब ही प्रभावशाली होता है जब हम शक्तिशाली हों. उन्होंने कहा “यह दुनिया का स्वभाव है, इसे बदला नहीं जा सकता.”

धर्म आधारित जीवन शैली की सराहना

उन्होंने अपने संबोधन में भगवान श्रीराम, भामाशाह और भारतीय ऋषि परंपरा का उल्लेख करते हुए भारत के त्याग और धर्म आधारित जीवन शैली की सराहना की. भागवत ने कहा कि भारत का कर्तव्य है कि वह दुनिया को धर्म और मानव कल्याण का मार्ग दिखाए, लेकिन इसके लिए शक्ति आवश्यक है.

पाकिस्तान पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, “हम किसी से द्वेष नहीं रखते, लेकिन यदि कोई हमारी शांति को चुनौती देता है, तो हमें मुंहतोड़ जवाब देना आता है. हमारी शक्ति को अब दुनिया ने देख लिया है.”

इस दौरान उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत को यदि वैश्विक स्तर पर मार्गदर्शक बनना है तो उसे सैन्य, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध होना होगा. उनका यह बयान हाल ही में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद पर भारत की कड़ी कार्रवाई के संदर्भ में आया है.

सम्मान समारोह में भावनाथ महाराज द्वारा मोहन भागवत को सम्मानित किया गया. इस मौके पर बड़ी संख्या में RSS प्रचारक, संत समाज और श्रद्धालु उपस्थित रहे. भागवत ने रविनाथ महाराज के साथ अपने पुराने अनुभव साझा करते हुए कहा, “उनकी करुणा और मार्गदर्शन से जीवन में सकारात्मक कार्यों की प्रेरणा मिलती है.”

उन्होंने यह भी कहा कि “हिंदू धर्म का धर्म ही विश्व कल्याण है.” यह कार्य केवल सरकार या संगठन का नहीं, बल्कि संत समाज और जन-जन का है. उन्होंने युवाओं से भारतीय संस्कृति, परंपरा और धर्म की रक्षा के लिए आगे आने का आह्वान किया.

मोहन भागवत का यह भाषण सिर्फ एक धार्मिक मंच से दिया गया वक्तव्य नहीं था, बल्कि भारत की बदलती रणनीतिक सोच और वैश्विक दृष्टिकोण का स्पष्ट संकेत भी था. उनका संदेश यह था कि भारत अब केवल अध्यात्म की भूमि नहीं, बल्कि शक्ति और नीति के समन्वय से विश्व नेतृत्व की ओर बढ़ रहा है.

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