Karnataka land acquisition protest: भूमि अधिग्रहण के खिलाफ 1,188 दिन से आंदोलन जारी, किसानों की हुंकार – ज़मीन नहीं देंगे, वादा निभाओ सिद्धारमैया

Karnataka land acquisition protest

Karnataka land acquisition protest: कर्नाटक के चन्नारायपटना होबली क्षेत्र के तेरह गांवों में चल रहा भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। 1188 दिनों से अपने खेत-खलिहानों को बचाने की जद्दोजहद कर रहे किसानों का यह संघर्ष राज्यभर के किसान, मजदूर, दलित, महिला, छात्र संगठनों और ‘संयुक्ता होराटा कर्नाटक’ के समर्थन से अब एक जनआंदोलन में बदल चुका है।

25 जून को ‘देवनहल्ली चलो’ और पुलिसिया दमन- Karnataka land acquisition protest

भूमि अधिग्रहण के खिलाफ किसानों ने 25 जून को ‘देवनहल्ली चलो’ अभियान के तहत विरोध प्रदर्शन किया, लेकिन पुलिस की बर्बर कार्रवाई ने आंदोलन को और तेज कर दिया। किसानों पर हुए इस अत्याचार ने राज्यभर में रोष और एकजुटता को जन्म दिया।

फ्रीडम पार्क बना संघर्ष का नया केंद्र- Karnataka land acquisition protest

27 जून से बेंगलुरु के फ्रीडम पार्क में किसानों का अनिश्चितकालीन धरना शुरू हो चुका है। यहां से आंदोलनकारियों ने सरकार तक अपनी आवाज़ पहुंचाने का ऐलान किया। किसानों की प्रमुख मांग है – कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (KIADB) द्वारा चन्नारायपटना और देवनहल्ली के 13 गांवों से किए जा रहे 3,077 एकड़ कृषि भूमि अधिग्रहण को रद्द किया जाए। Karnataka land acquisition protest

4 जुलाई को मुख्यमंत्री के साथ बैठक, 10 दिन की मोहलत

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 4 जुलाई को आंदोलनकारियों की प्रतिनिधि समिति के साथ बैठक की। समिति में ‘संयुक्ता होराटा कर्नाटक’, संघर्ष समिति और अन्य समान विचारधारा वाले संगठनों के सदस्य मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि अंतिम अधिसूचना पहले ही जारी हो चुकी है, इसलिए कानूनी अड़चनों को दूर करने के लिए उन्हें 10 दिन का समय चाहिए।

हालांकि किसानों का कहना है कि यह देरी अब असहनीय होती जा रही है और सरकार को वादा निभाना ही होगा। Karnataka land acquisition protest

‘सिद्धारमैया सरकार किसानों की वजह से बनी है’ – डॉ. सुनीलम

संयुक्त किसान मोर्चा के नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम ने कहा,

“सिद्धारमैया सरकार को किसानों ने बनाया था, इसलिए अब उन्हें अपना वादा निभाना चाहिए। ज़मीन वापस देना उनका कर्तव्य है।”

टिकैत, युद्धवीर सिंह और प्रकाश राज का समर्थन

भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत और महासचिव युद्धवीर सिंह ने भी इस संघर्ष में किसानों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन सिर्फ ज़मीन का नहीं, आत्मसम्मान और हक़ का है
अभिनेता प्रकाश राज भी किसानों के साथ खड़े हुए और पुलिसिया कार्रवाई की निंदा की।

प्रदर्शनकारी किसानों की मांगें

  • 13 गांवों से प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण को तुरंत रद्द किया जाए
  • KIADB के अधिसूचना आदेश को रद्द किया जाए।
  • पुलिस दमन की जांच हो और दोषियों पर कार्रवाई हो।
  • कृषि भूमि पर औद्योगिक ज़ोन लागू न किया जाए।
  • मुख्यमंत्री द्वारा दिया गया वादा सार्वजनिक रूप से दोहराया जाए।

यह सिर्फ एक आंदोलन नहीं, एक चेतावनी है

इस आंदोलन में छात्रों, महिलाओं और मजदूर संगठनों की भागीदारी ने यह सिद्ध कर दिया कि यह केवल किसानों की लड़ाई नहीं है, बल्कि जनहित की रक्षा का युद्ध है।
प्रदर्शनकारी बार-बार दोहरा रहे हैं –

"धरती हमारी मां है, उसे हम किसी की फैक्ट्री का आंगन नहीं बनने देंगे।"

SOURCE- THE HINDU

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