JAISHANKAR MUTTAQI TALKS: जयशंकर-मुत्ताकी के बीच फोन पर हुई वार्ता, वीजा और रिश्तों पर चर्चा

JAISHANKAR MUTTAQI TALKS

नई दिल्ली: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर (JAISHANKAR MUTTAQI TALKS) और अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी के बीच गुरुवार रात को ऐतिहासिक फोन कॉल ने भारत और तालिबान सरकार के बीच पहली आधिकारिक मंत्रीस्तरीय बातचीत का रास्ता खोला. इस वार्ता में भारत-अफगान रिश्तों को लेकर कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई.

जयशंकर ने इस दौरान पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करने के लिए अफगान सरकार का धन्यवाद किया. साथ ही उन्होंने उन पाकिस्तानी आरोपों को खारिज करने के लिए भी शुक्रिया कहा, जिसमें पाकिस्तान ने यह दावा किया था कि भारतीय मिसाइलों ने अफगान क्षेत्र को टारगेट किया था.

अफगान सरकार की वीजा और कैदियों को लेकर मांग- JAISHANKAR MUTTAQI TALKS

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान सरकार ने भारत से अफगान व्यापारियों और मरीजों के लिए वीजा देने की सुविधा की मांग की है. इसके अलावा, भारत में बंद अफगान नागरिकों को रिहा कर स्वदेश वापस भेजने का अनुरोध भी किया गया है.

गौरतलब है कि भारत ने 25 अगस्त 2021 से अफगानिस्तान के लिए वीजा सुविधा बंद कर दी थी, जब तालिबान ने देश की सत्ता अपने हाथों में ली थी। सुरक्षा कारणों के चलते भारत ने यह फैसला लिया था. जयशंकर ने मुत्ताकी को भरोसा दिलाया कि भारत इन सभी मुद्दों को गंभीरता से लेगा और जल्द समाधान की दिशा में कदम उठाएगा.

पुराने संबंधों को दोहराने की कोशिश

जयशंकर ने बातचीत के दौरान स्पष्ट किया कि भारत और अफगान जनता के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से गहरे संबंध हैं. उन्होंने इस बात पर बल दिया कि भारत इन संबंधों को मजबूत करना चाहता है और अफगान जनता की सहायता के लिए हमेशा तत्पर रहेगा.

बातचीत की शुरुआत: मिसरी और मुत्ताकी की मुलाकात

भारत और तालिबान सरकार के बीच बातचीत की शुरुआत इस साल जनवरी में हुई थी, जब दुबई में भारत के पूर्व राजदूत विक्रम मिसरी और अफगान विदेश मंत्री मुत्ताकी की मुलाकात हुई थी. उस समय मुत्ताकी ने भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने की इच्छा जताई थी.

इसके बाद 28 अप्रैल को विदेश मंत्रालय के जॉइंट सेक्रेटरी आनंद प्रकाश ने मुत्ताकी से मुलाकात की थी, जिसमें द्विपक्षीय व्यापार और सहयोग को लेकर विचार-विमर्श हुआ था. अब एस. जयशंकर और मुत्ताकी के बीच फोन पर हुई सीधी बातचीत ने इन प्रयासों को एक नई दिशा दी है.

भारत की स्थिति: अब तक कोई मान्यता नहीं

भारत ने अभी तक तालिबान सरकार को औपचारिक रूप से मान्यता नहीं दी है. हालांकि भारत ने पिछले दो दशकों में अफगानिस्तान को लगभग 25,000 करोड़ रुपये की मदद दी है.

तालिबान सरकार ने पिछले साल नवंबर में मुंबई स्थित अफगान वाणिज्य दूतावास में अपना डिप्लोमैट नियुक्त किया था। भारत ने इस नियुक्ति को आधिकारिक मान्यता तो नहीं दी, लेकिन दूतावास को काम करने दिया गया है.

विशेषज्ञों की राय: तालिबान को भारत की जरूरत

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत और तालिबान के बीच रिश्तों में धीरे-धीरे नजदीकी बढ़ रही है. भारतीय विदेश नीति विशेषज्ञ राघव शर्मा के अनुसार, भारत तालिबान को अब पूरी तरह नजरअंदाज नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि तालिबान अब पाकिस्तान पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना चाहता और भारत जैसे देशों से संबंध बनाकर यह दिखाना चाहता है कि उनके पास और भी विकल्प हैं.

आगे की राह

हालांकि भारत ने अब तक तालिबान को मान्यता नहीं दी है, लेकिन मानवीय दृष्टिकोण और व्यापारिक हितों के चलते दोनों देशों के बीच बातचीत की राह खुलती जा रही है. जयशंकर और मुत्ताकी की बातचीत इसका प्रमाण है. अब यह देखना होगा कि आने वाले महीनों में यह संवाद किस दिशा में बढ़ता है, और क्या भारत तालिबान को मान्यता देने की ओर कदम बढ़ाता है या अभी प्रतीक्षा की नीति अपनाए रखता है.

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