एक्सप्लेनर: परमाणु शक्ति में भारत का नया रिकॉर्ड! पाकिस्तान से आगे, क्या अब चीन से टक्कर लेने की तैयारी?- India nuclear weapons

India nuclear weapons
लेखक: संदीप कुमार
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की एक ताजा रिपोर्ट ने दुनिया का ध्यान भारत की ओर खींचा है।

India nuclear weapons: हाल ही में स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की एक ताजा रिपोर्ट ने दुनिया का ध्यान भारत की ओर खींचा है। जनवरी 2025 तक भारत के पास 180 परमाणु हथियार हो गए हैं, जो पाकिस्तान के 170 हथियारों से अधिक हैं। यह पहली बार है जब भारत ने परमाणु हथियारों की संख्या में अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान को पीछे छोड़ा है। पिछले दो सालों में भारत ने 16 नए परमाणु बम बनाए, जबकि पाकिस्तान का परमाणु जखीरा पिछले तीन सालों से स्थिर है।

इस बदलाव ने कई सवाल खड़े किए हैं। क्या भारत अब केवल पाकिस्तान को ध्यान में रखकर अपनी रणनीति नहीं बना रहा? क्या इसका लक्ष्य अब चीन जैसे बड़े खिलाड़ी से टक्कर लेना है? इस लेख में हम भारत की परमाणु शक्ति में आए इस बदलाव, इसके कारणों, और भविष्य की रणनीति को विस्तार से समझेंगे।

पिछले दो सालों में भारत की परमाणु शक्ति में क्या बदलाव आया?

SIPRI की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 2023 से 2025 तक अपने परमाणु हथियारों की संख्या में लगातार इजाफा किया है। 2023 में भारत के पास 164 परमाणु हथियार थे, जो 2024 में बढ़कर 172 हो गए, और अब 2025 में यह आंकड़ा 180 तक पहुंच चुका है। लेकिन यह सिर्फ संख्या का खेल नहीं है। भारत ने अपनी परमाणु ताकत को नई तकनीकों और डिलीवरी सिस्टम के साथ और मजबूत किया है।

  1. कैनिस्टराइज्ड मिसाइलें और MIRV तकनीक: भारत ने हाल के वर्षों में कैनिस्टराइज्ड मिसाइलों पर जोर दिया है। ये मिसाइलें परमाणु हथियारों को तेजी से तैनात करने में सक्षम हैं और इन्हें आसानी से छिपाया जा सकता है। इसके अलावा, भारत की अग्नि-5 मिसाइल में मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल्स (MIRVs) तकनीक होने की संभावना है। यह तकनीक एक मिसाइल को कई अलग-अलग लक्ष्यों पर हमला करने की क्षमता देती है, जिससे भारत की रणनीतिक ताकत कई गुना बढ़ जाती है।
  2. परमाणु पनडुब्बियां और डिलीवरी सिस्टम: भारत ने अपनी परमाणु त्रिकोणीय रणनीति (land, sea, air) को मजबूत करने के लिए INS अरिहंत और अन्य परमाणु पनडुब्बियों पर काम तेज किया है। ये पनडुब्बियां समुद्र से परमाणु हमला करने की क्षमता रखती हैं, जो भारत को दूसरी स्ट्राइक क्षमता प्रदान करती हैं। यानी, अगर भारत पर पहला परमाणु हमला होता है, तो भी वह जवाबी हमला करने में सक्षम होगा।
  3. अग्नि-6 और लंबी दूरी की मिसाइलें: भारत अब अग्नि-6 मिसाइल पर काम कर रहा है, जिसकी रेंज 6,000 से 8,000 किलोमीटर तक हो सकती है। यह मिसाइल न केवल पाकिस्तान, बल्कि चीन के किसी भी हिस्से को निशाना बना सकती है। यह भारत की रणनीति में एक बड़ा बदलाव दर्शाता है, जो अब क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहता है।
INS अरिघात (INS Arighat) 29 अगस्त 2024 को भारतीय नौसेना में शामिल हुई, जो पानी के अंदर से परमाणु हथियार लॉन्च करने में सक्षम।

दूसरी ओर, पाकिस्तान ने पिछले कुछ सालों में अपने परमाणु हथियारों की संख्या में कोई वृद्धि नहीं की है। हालांकि, वह फिसाइल मटेरियल (परमाणु हथियार बनाने के लिए जरूरी सामग्री) जमा कर रहा है और शॉर्ट-रेंज टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियारों पर ध्यान दे रहा है। ये हथियार छोटे क्षेत्रों में तेजी से इस्तेमाल के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, खासकर भारत के साथ सीमा पर संभावित युद्ध की स्थिति में।

भारत ने पहले क्यों रखे कम परमाणु हथियार?

ऐतिहासिक रूप से भारत के पास हमेशा पाकिस्तान से कम परमाणु हथियार रहे हैं। इसके पीछे कई रणनीतिक और भौगोलिक कारण थे:

  1. ‘नो फर्स्ट यूज’ नीति: भारत ने 1998 के परमाणु परीक्षण के बाद ‘नो फर्स्ट यूज’ नीति अपनाई, जिसका मतलब है कि भारत कभी पहले परमाणु हमला नहीं करेगा। इस नीति के तहत भारत का ध्यान ‘मिनिमम क्रेडिबल डिटरेंस’ पर रहा, यानी इतने हथियार रखना कि जवाबी हमले से दुश्मन को भारी नुकसान हो। इस वजह से भारत ने कम लेकिन शक्तिशाली हथियारों पर ध्यान दिया, जबकि पाकिस्तान ने ‘फर्स्ट यूज’ नीति के तहत ज्यादा हथियार बनाए।
  2. पाकिस्तान का छोटा क्षेत्रफल: भारत का क्षेत्रफल 32.8 लाख वर्ग किलोमीटर है, जबकि पाकिस्तान का सिर्फ 7.96 लाख वर्ग किलोमीटर। छोटे क्षेत्रफल वाले देश को कम हथियारों से ज्यादा नुकसान पहुंचाया जा सकता है, क्योंकि इसके सैन्य और आर्थिक केंद्र कम दूरी पर स्थित हैं। भारत ने इस आधार पर कम लेकिन शक्तिशाली न्यूट्रॉन, फिजन, और थर्मोन्यूक्लियर बम बनाए, जो 1.5 से 20 किलोमीटर के दायरे में तबाही मचा सकते हैं।
  3. संसाधनों का सीमित उपयोग और तकनीकी फोकस: 1990 और 2000 के दशक में भारत का परमाणु कार्यक्रम शुरुआती दौर में था। भारत ने अपने संसाधनों को न केवल परमाणु हथियारों, बल्कि आर्थिक विकास, सैन्य आधुनिकीकरण, और वैज्ञानिक अनुसंधान में भी निवेश किया। भारत ने हथियारों की संख्या से ज्यादा उनकी गुणवत्ता पर ध्यान दिया, जैसे कि अग्नि मिसाइलें, परमाणु पनडुब्बियां, और MIRV तकनीक। दूसरी ओर, पाकिस्तान ने परमाणु हथियारों को प्राथमिकता दी और इसे अपनी रक्षा का आधार बनाया।
  4. अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध: 1998 के परमाणु परीक्षण के बाद भारत पर कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगे, जिससे फिसाइल मटेरियल की उपलब्धता सीमित थी। वहीं, पाकिस्तान को चीन और उत्तर कोरिया जैसे देशों से मदद मिली। 2008 में भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के बाद भारत को फिसाइल मटेरियल की आपूर्ति बढ़ी, जिसने इसके परमाणु कार्यक्रम को गति दी।
INS अरिहंत भारत की पहली स्वदेशी परमाणु शक्ति से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN) है। इसे 2016 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया, जो भारत की परमाणु त्रिकोण (Nuclear Triad) को पूर्ण करता है। यह पनडुब्बी गुप्त रूप से समुद्र में रहकर परमाणु जवाबी हमले की क्षमता प्रदान करती है।

🌍 टॉप 10 परमाणु संपन्न देश और उनके लड़ाकू विमान (2025 अनुमान)

रैंकदेशपरमाणु हथियार (बम)लड़ाकू विमान (Fighter Jets)
1️⃣रूस5,5801,500+
2️⃣अमेरिका5,2441,900+
3️⃣चीन500–6001,600+
4️⃣फ्रांस290270+
5️⃣ब्रिटेन (UK)225130+
6️⃣पाकिस्तान170350+
7️⃣भारत180600+
8️⃣इज़राइल~90 (गोपनीय)250+
9️⃣उत्तर कोरिया50–60~40 (सक्रिय संचालन में बहुत कम)
🔟ईरान0 (अभी परीक्षण/अविकसित)300+ (अधिकांश पुराने मॉडल)

🔍 प्रमुख बिंदु:

  • रूस और अमेरिका के पास विश्व के कुल परमाणु हथियारों का लगभग 90% हिस्सा है।
  • चीन अपने परमाणु जखीरे को तेजी से बढ़ा रहा है, हर साल 100 तक नए हथियार जोड़ रहा है।
  • भारत और पाकिस्तान में संख्या तुलनात्मक रूप से कम है, लेकिन तकनीकी विकास जारी है (जैसे MIRV, कैनिस्टर मिसाइलें)।
  • इज़राइल अपने परमाणु कार्यक्रम की पुष्टि नहीं करता, लेकिन अनुमान है कि उसके पास 80-90 बम हैं।
  • ईरान के पास फिलहाल सक्रिय परमाणु हथियार नहीं हैं, लेकिन उसका कार्यक्रम दुनिया के लिए चिंता का विषय है।

भारत की परमाणु-सक्षम मिसाइलें

– तीनों माध्यमों से परमाणु हमले की ताकत (Land, Sea, Air Launch Capable)

मिसाइल का नामरेंजमिसाइल प्रकारपरमाणु क्षमतालॉन्च माध्यमविशेषताएं
अग्नि-5~5,500 किमीबैलिस्टिक (ICBM)✔️भूमि (Mobile Launcher)MIRV तकनीक, पूरे चीन को कवर करता है
अग्नि-4~4,000 किमीबैलिस्टिक✔️भूमिरणनीतिक गहराई से हमला
अग्नि-3~3,500 किमीबैलिस्टिक✔️भूमिभारी वॉरहेड क्षमता
अग्नि-2~2,000 किमीबैलिस्टिक✔️भूमिरेलवे प्लेटफॉर्म से तैनात
प्रथ्वी-II~350 किमीबैलिस्टिक (SRBM)✔️भूमिकम दूरी का सामरिक उपयोग
K-15 (सागरिका)~750 किमीSLBM (Submarine Launched)✔️INS अरिहंत (पनडुब्बी)पहले से तैनात परमाणु SLBM
K-4~3,500 किमीSLBM✔️INS अरिघात व भविष्य की SSBNsलंबे रेंज की समुद्री परमाणु मार
निर्भय~1,000 किमीक्रूज़ मिसाइलसंभावित ✔️भूमि / हवाई प्लेटफॉर्मरडार से बचने वाली लंबी उड़ान
ब्रह्मोस (परमाणु नहीं)~450–800 किमीसुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल❌ (अभी नहीं)जल / भूमि / वायुभविष्य में परमाणुकरण संभव

क्या भारत अब पाकिस्तान और चीन से एक साथ निपट सकता है?

SIPRI की रिपोर्ट के अनुसार, चीन के पास 600 परमाणु हथियार हैं, जो भारत से तीन गुना से भी ज्यादा हैं। इसके अलावा, चीन हर साल 100 नए हथियार जोड़ रहा है और उसके पास 350 इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें (ICBMs) भी हैं, जो रेगिस्तान और पहाड़ों में तैनात हैं। अगर पाकिस्तान (170 हथियार) और चीन (600 हथियार) को जोड़ा जाए, तो यह भारत की तुलना में चार गुना ज्यादा है।

फिर भी, भारत की रणनीति अब बदल रही है। भारत की अग्नि-6 मिसाइल और परमाणु पनडुब्बियां इसे लंबी दूरी तक हमला करने की क्षमता दे रही हैं। ORF के सीनियर फेलो सुशांत सरीन का कहना है कि भारत की रणनीति अब केवल पाकिस्तान तक सीमित नहीं है। भारत यह संदेश देना चाहता है कि वह पाकिस्तान और चीन के साथ दो मोर्चों पर एक साथ मुकाबला करने में सक्षम है।

भारत की ‘नो फर्स्ट यूज’ नीति इसे नैतिक रूप से मजबूत बनाती है, लेकिन जवाबी हमले की क्षमता को और बढ़ाने की जरूरत है। भारत अब अपनी परमाणु त्रिकोणीय रणनीति को मजबूत कर रहा है, जिसमें जमीन, समुद्र, और हवा से हमला करने की क्षमता शामिल है। यह रणनीति भारत को दोनों पड़ोसियों के खिलाफ मजबूत स्थिति में ला सकती है।

भारत की भविष्य की रणनीति

भारत का परमाणु कार्यक्रम अब क्षेत्रीय शक्ति से वैश्विक शक्ति की ओर बढ़ रहा है। अग्नि-6, MIRV तकनीक, और परमाणु पनडुब्बियों के साथ भारत न केवल पाकिस्तान, बल्कि चीन जैसे बड़े देशों को भी जवाब देने की तैयारी कर रहा है। हालांकि, चीन की सैन्य और परमाणु ताकत अभी भी भारत से काफी आगे है।

भारत को अपनी परमाणु क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ कूटनीतिक रणनीति पर भी ध्यान देना होगा। पाकिस्तान और चीन की बढ़ती साझेदारी भारत के लिए एक चुनौती है, लेकिन भारत की तकनीकी प्रगति और रणनीतिक नीतियां इसे इस चुनौती से निपटने में सक्षम बना रही हैं।

भारत ने परमाणु हथियारों की संख्या में पाकिस्तान को पीछे छोड़कर एक नया इतिहास रचा है। यह बदलाव न केवल भारत की रक्षा रणनीति को मजबूत करता है, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर उसकी स्थिति को भी सुदृढ़ करता है। हालांकि, चीन के साथ तुलना में भारत को अभी लंबा रास्ता तय करना है। भारत की ‘नो फर्स्ट यूज’ नीति और तकनीकी प्रगति इसे एक जिम्मेदार और शक्तिशाली परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित कर रही है। क्या भारत भविष्य में चीन से भी टक्कर ले पाएगा? यह समय और भारत की रणनीति पर निर्भर करता है।

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सोर्स- BHASKER

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