F-35B fighter breakdown: केरल के तिरुवनंतपुरम इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ब्रिटिश रॉयल नेवी के अत्याधुनिक F-35B फाइटर जेट की 14 जून को आपातकालीन लैंडिंग हुई थी। लैंडिंग के 19 दिन बाद भी जेट को फिर से उड़ान भरने लायक नहीं बनाया जा सका है। अब ब्रिटिश नौसेना इस फिफ्थ जनरेशन स्टील्थ जेट को टुकड़ों में खोलकर सी-17 ग्लोबमास्टर विमान से वापस ले जाने की योजना पर काम कर रही है। F-35B fighter breakdown
🔧 तकनीकी खराबी बनी मुश्किल, उड़ान की उम्मीद टूटी– F-35B fighter breakdown
ब्रिटेन की एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स कैरियर स्ट्राइक ग्रुप का हिस्सा यह F-35B विमान केरल के तट से करीब 100 समुद्री मील दूर ऑपरेशन कर रहा था, जब अचानक खराब मौसम और ईंधन की कमी के चलते उसे आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी।

विमान की लैंडिंग के बाद जब उसे एयरक्राफ्ट कैरियर पर लौटाने की तैयारी हो रही थी, हाइड्रोलिक सिस्टम फेलियर सामने आया। इस तरह की खराबी बेहद संवेदनशील होती है, क्योंकि यह फाइटर जेट की टेकऑफ और लैंडिंग क्षमता को सीधे प्रभावित करती है।
🧑🔧 रॉयल नेवी की टीम भी रही असफल– F-35B fighter breakdown
शुरुआत में तीन टेक्नीशियन की रॉयल नेवी टीम ने विमान की मरम्मत की कोशिश की, लेकिन खराबी इतनी गंभीर थी कि वह इसे ठीक नहीं कर सके। 19 दिन बीत जाने के बाद भी यूके से इंजीनियरों की मुख्य टीम भारत नहीं पहुंच सकी, जिससे अब इसकी वापसी को लेकर वैकल्पिक योजना बनाई जा रही है।
🛫 अब टुकड़ों में ले जाया जाएगा F-35B
जानकारी के मुताबिक, जेट को आंशिक रूप से डिसमेंटल (टुकड़ों में विभाजित) कर, उसके कलपुर्जों को सी-17 ग्लोबमास्टर सैन्य ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के ज़रिए ब्रिटेन भेजा जाएगा। इससे पहले इस तरह की स्थिति बहुत ही कम देखने को मिली है, जब एक ऑपरेशनल फाइटर जेट को उड़ाने की बजाय वापस ले जाना पड़े। F-35B fighter breakdown
🛬 भारतीय वायुसेना और CISF की भूमिका सराहनीय
आपातकालीन स्थिति में भारतीय वायुसेना और एयर ट्रैफिक कंट्रोल की तत्परता से F-35B की सुरक्षित लैंडिंग संभव हो सकी। इसके बाद CISF ने जेट को एयरपोर्ट के बे-4 में सुरक्षा प्रदान की। शुरुआत में ब्रिटिश टीम ने एयर इंडिया के हैंगर में विमान रखने से मना कर दिया था, लेकिन बाद में लगातार बारिश के कारण उन्होंने अपनी सहमति दी।
🔍 फाइटर जेट के लिए हैंगर में स्थानांतरण की स्वीकृति
केरल में मॉनसून की तेज बारिश और उपकरणों की सुरक्षा के मद्देनज़र, एयरपोर्ट प्रशासन और एयर इंडिया ने रॉयल नेवी को जेट को हैंगर में रखने का प्रस्ताव दिया था। पहले तो इसे ठुकरा दिया गया, लेकिन बाद में रॉयल नेवी को जेट को हैंगर में ले जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।