नई दिल्ली: देश में बच्चों में तेजी से बढ़ रही टाइप-2 डायबिटीज और अत्यधिक शुगर सेवन (CBSE Sugar Board) की प्रवृत्ति पर नियंत्रण पाने के लिए CBSE (केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड) ने एक ऐतिहासिक और जागरूकता भरा कदम उठाया है. बोर्ड ने हाल ही में देशभर के सभी संबद्ध स्कूलों को आदेश दिया है कि वे 15 जुलाई 2025 तक ‘शुगर बोर्ड’ (Sugar Boards) अनिवार्य रूप से स्थापित करें. इस पहल का उद्देश्य छात्रों को अत्यधिक चीनी सेवन से होने वाले स्वास्थ्य नुकसान के बारे में जानकारी देना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में इस कदम की जमकर प्रशंसा की.
बच्चों में बढ़ती टाइप-2 डायबिटीज चिंता का विषय- CBSE Sugar Board
पिछले एक दशक में भारत में बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज, मोटापा और शुगर से जुड़ी बीमारियों में चिंताजनक वृद्धि हुई है. यह बीमारियाँ पहले सिर्फ वयस्कों में देखी जाती थीं, लेकिन अब बच्चों में भी इनके मामले तेजी से सामने आ रहे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण स्कूलों में उपलब्ध मिठाइयों, चॉकलेट, मीठे पेय और जंक फूड्स की भरमार मानी जा रही है. CBSE Sugar Board
क्या है ‘शुगर बोर्ड’?
CBSE द्वारा निर्देशित ‘शुगर बोर्ड’ एक शैक्षिक उपकरण की तरह काम करेगा. यह बोर्ड स्कूलों की दीवारों पर लगाए जाएंगे और इनमें विभिन्न खाद्य व पेय पदार्थों में मौजूद शुगर की मात्रा को स्पष्ट रूप से दिखाया जाएगा. CBSE Sugar Board
इस बोर्ड में निम्न जानकारियाँ दी जाएंगी:-
- प्रति दिन शुगर सेवन की सिफारिशित मात्रा
- लोकप्रिय खाद्य पदार्थों और पेयों में मौजूद शुगर की मात्रा
- अत्यधिक चीनी सेवन से होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं
- स्वास्थ्यवर्धक खाद्य विकल्पों के सुझाव
इस पहल के अंतर्गत सभी स्कूलों को छात्रों के लिए हेल्थ अवेयरनेस सेमिनार, कार्यशालाएं और पोस्टर प्रदर्शनी भी आयोजित करनी होंगी.
पीएम मोदी ने की सराहना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रयास की प्रशंसा करते हुए ‘मन की बात’ के 122वें एपिसोड में कहा –
“आपने स्कूलों में ब्लैकबोर्ड तो देखे होंगे, लेकिन अब कुछ स्कूलों में शुगर बोर्ड भी लगाए जा रहे हैं. यह एक अनूठा प्रयास है जो बच्चों को छोटी उम्र से ही हेल्दी विकल्प चुनने के लिए प्रेरित करेगा.”
उन्होंने आगे कहा,
“स्वस्थ जीवनशैली की आदतें बचपन से डालना जरूरी है. फिट इंडिया ही मजबूत भारत की नींव है। इस पहल को सिर्फ स्कूलों तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि दफ्तरों, कैंटीनों और संस्थानों में भी इसे लागू करना चाहिए।”
CBSE और NCPCR का निर्देश
इस निर्णय के पीछे नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (NCPCR) की सिफारिश थी. बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण को लेकर NCPCR ने CBSE को यह निर्देश दिया कि स्कूलों में शुगर जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए ‘शुगर बोर्ड’ अनिवार्य किए जाएं.
CBSE ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि सभी स्कूल इस निर्देश का पालन करें और 15 जुलाई 2025 तक सभी आवश्यक कार्यवाही पूरी कर लें। बोर्ड के मुताबिक, “अधिकांश बच्चों को यह जानकारी ही नहीं होती कि वे रोज़ कितनी चीनी का सेवन कर रहे हैं और उससे उनके शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है.”
स्कूलों में आयोजित होंगी वर्कशॉप्स
CBSE ने कहा है कि स्कूल केवल बोर्ड लगाने तक सीमित न रहें, बल्कि स्वास्थ्य से जुड़ी वर्कशॉप्स और सेमिनार्स भी नियमित तौर पर आयोजित करें. इन कार्यक्रमों के जरिए बच्चों और उनके अभिभावकों को स्वस्थ खानपान की आदतें अपनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा.
अभिभावकों की भी मिली सकारात्मक प्रतिक्रिया
कई माता-पिता ने इस पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि इससे बच्चों की आदतों में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकता है. एक अभिभावक ने बताया,
“हम बच्चों को मिठाई और कोल्ड ड्रिंक से कितना भी रोकें, लेकिन जब तक स्कूल का वातावरण नहीं बदलेगा, तब तक सुधार मुश्किल है। CBSE का यह कदम स्वागतयोग्य है.”
फिट इंडिया के साथ जुड़ता नया आयाम
प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ को अब शिक्षा के क्षेत्र में भी मजबूती मिलती दिखाई दे रही है. शुगर बोर्ड की यह पहल न सिर्फ स्कूली छात्रों के स्वास्थ्य को सुरक्षित बनाएगी बल्कि भारत को एक फिट और स्वस्थ राष्ट्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी.
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सोर्स- THE HINDU