Agni-5 conventional missile: पलक झपकते ही होगा किराना हिल्स का खात्मा! ये मिसाइल तैयार कर रहा भारत, जानिए खासियत

Agni-5 conventional missile

Agni-5 conventional missile: भारत अपनी रणनीतिक रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठा चुका है। अब अग्नि-V मिसाइल का एक पारंपरिक (गैर-परमाणु) संस्करण विकसित किया जा रहा है, जिसमें अत्याधुनिक एयरबर्स्ट और बंकर-बस्टर वारहेड शामिल होंगे। इस मिसाइल की रेंज 2000 से 2500 किलोमीटर तक सीमित होगी, लेकिन यह 7.5 टन के भारी वारहेड से लैस होगी, जो दुश्मन के सैन्य ढांचों को एक झटके में तबाह करने में सक्षम होगी।

अग्नि-V का नया पारंपरिक संस्करण: क्यों है खास?- Agni-5 conventional missile

मौजूदा अग्नि-V मिसाइल एक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है, जिसकी रेंज 7000 किलोमीटर से ज्यादा है और यह परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। लेकिन अब DRDO इसके एक पारंपरिक संस्करण पर काम कर रहा है, जो दो मुख्य प्रकार के वारहेड के साथ आएगा:

अग्नि-V मिसाइल का एक पारंपरिक (गैर-परमाणु) संस्करण (फोटो- इंटरनेट)

1. एयरबर्स्ट वारहेड:

  • हवा में फटने वाला यह वारहेड बड़े क्षेत्र में तबाही मचाने की क्षमता रखता है।
  • यह सैन्य ठिकानों, रनवे, रडार और एयरबेस जैसे ढांचों को निष्क्रिय कर सकता है।
  • इसका असर व्यापक होता है, जिससे दुश्मन की पूरी सैन्य संरचना अस्थिर हो सकती है।

2. बंकर-बस्टर वारहेड:

  • यह वारहेड 80-100 मीटर गहरे भूमिगत बंकरों और परमाणु ठिकानों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • स्टील और कंक्रीट की मोटी दीवारों को भेदने की क्षमता रखता है।
  • यह विशेष रूप से चीन और पाकिस्तान के गुप्त ठिकानों को टारगेट करने के लिए उपयोगी होगा।

तकनीकी विशेषताएं

  • रेंज: 2000-2500 किमी (कम रेंज का कारण भारी वारहेड पेलोड है)
  • गति: मैक 24 (लगभग 29,400 किमी/घंटा) – दुनिया की सबसे तेज़ मिसाइलों में शामिल
  • लॉन्च सिस्टम: कैनिस्टर आधारित – कहीं भी, कभी भी तैनाती योग्य
  • नेविगेशन: रिंग लेजर गायरोस्कोप, नैविक और GPS आधारित सिस्टम – 10 मीटर से कम CEP (Circular Error Probable)
  • सामग्री: हल्के कंपोजिट मैटेरियल का उपयोग – 20% वजन में कमी, प्रदर्शन में वृद्धि

विकास की स्थिति- Agni-5 conventional missile

DRDO ने इस पारंपरिक संस्करण के डिजाइन और इंजीनियरिंग पर कार्य शुरू कर दिया है। हालांकि इसका परीक्षण अभी लंबित है। DRDO द्वारा मार्च 2024 में “मिशन दिव्यास्त्र” के तहत MIRV (Multiple Independently targetable Reentry Vehicle) अग्नि-V का सफल परीक्षण किया गया था। अब यह तकनीक पारंपरिक संस्करण में भी इस्तेमाल की जा सकती है।

क्षेत्रीय प्रभाव: पाकिस्तान और चीन पर नजर- Agni-5 conventional missile

पाकिस्तान:

  • रेंज में पूरा पाकिस्तान: 2000-2500 किमी की रेंज पाकिस्तान के हर कोने तक पहुंचती है।
  • बंकर टारगेटिंग: किराना हिल्स जैसे भूमिगत ठिकानों पर हमला कर उन्हें नष्ट किया जा सकता है।
  • एयरबेस टारगेटिंग: पेशावर, कराची, इस्लामाबाद जैसे सैन्य हवाई अड्डे निष्क्रिय किए जा सकते हैं।
  • रणनीतिक संदेश: भारत की नो-फर्स्ट यूज नीति मजबूत होगी, लेकिन जवाबी हमला और भी ताकतवर होगा।

चीन:

  • हालांकि रेंज चीन के अधिकतर हिस्से को कवर नहीं करती, लेकिन तिब्बत, युन्नान और शिनजियांग जैसे बॉर्डर क्षेत्रों के मिलिट्री बेस इस मिसाइल के रडार पर होंगे।
  • चीन के बंकर आधारित कमांड सेंटरों को भी टारगेट किया जा सकता है।

क्या यह सैन्य रणनीति में बदलाव है?

बिल्कुल। अब भारत केवल परमाणु हथियारों पर निर्भर नहीं है। यह पारंपरिक स्ट्राइक क्षमता न केवल दुश्मन को चेतावनी देती है, बल्कि सीमित युद्ध के परिदृश्य में भी एक निर्णायक बढ़त देती है। इस मिसाइल की मौजूदगी भारत को एक मजबूत ‘डेटरेंस’ क्षमता प्रदान करती है, जिससे बिना परमाणु हथियारों का प्रयोग किए ही प्रभावी सैन्य कार्रवाई की जा सकेगी।

एक्सपर्ट व्यू:- Agni-5 conventional missile

एक्सपर्ट्स का मानना है कि पारंपरिक अग्नि-V का विकास भारत की “सर्जिकल स्ट्राइक से आगे” सोच को दर्शाता है। यह मिसाइल युद्ध की शुरुआत नहीं, बल्कि मजबूती से जवाब देने की तैयारी है। ट्विटर/X पर सैन्य मामलों के जानकार @InsightGL ने कहा – “यह मिसाइल किराना हिल्स के प्रवेश द्वार को नष्ट करने से आगे बढ़कर पूर्ण विनाश कर सकती है।”

भारत की पारंपरिक अग्नि-V मिसाइल आने वाले वर्षों में क्षेत्रीय रणनीतिक समीकरण को बदल सकती है। यह सैन्य शक्ति को सटीकता, गति और क्षमता से लैस करेगी। भारत अब केवल न्यूक्लियर पावर नहीं, बल्कि एक स्मार्ट स्ट्रैटेजिक फोर्स बनने की ओर बढ़ रहा है।


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