श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में सोमवार को हुए भीषण आतंकी हमले में 28 पर्यटकों की जान चली गई, जबकि दर्जनों लोग घायल हुए हैं। यह हमला घाटी में पर्यटकों को निशाना बनाकर किया गया अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला बताया जा रहा है। हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटा संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली है।
इस हमले में शामिल चार आतंकियों में से दो के पाकिस्तानी होने की पुष्टि हुई है। शुरुआती जांच में पता चला है कि यह हमला पूरी प्लानिंग के साथ अंजाम दिया गया। बताया जा रहा है कि आतंकियों ने एक पर्यटक बस को निशाना बनाया, जो पहलगाम से लौट रही थी। हमले के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब के दौरे पर थे और अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत में मौजूद थे, जिससे इस हमले की टाइमिंग पर भी कई सवाल उठ रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, इस आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तान की गहरी साजिश है। हाल के दिनों में जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) प्रमुख मसूद अजहर के फिर से सक्रिय होने की खबरें सामने आई थीं। जुलाई में उसे पाकिस्तान के बहावलपुर में एक शादी समारोह में देखा गया था, जहाँ उसने खुलेआम भाषण देते हुए कश्मीर और फिलिस्तीन के जिहाद का जिक्र किया। इस घटना ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि पाकिस्तान की सरजमीं पर पल रहे आतंकी संगठन भारत में अशांति फैलाने की कोशिशों में लगे हैं।
पिछले कुछ महीनों में घाटी में आतंकी गतिविधियों में तेजी देखी गई है, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों की भूमिका सामने आई है। ये आतंकी संगठन स्थानीय आतंकियों को आगे रखकर अपनी पहचान छिपाने की कोशिश करते हैं। लेकिन सुरक्षा एजेंसियों ने इन हमलों की तह में जाकर इस साजिश का पर्दाफाश किया है।
केंद्र सरकार ने इस हमले के बाद हाई अलर्ट जारी कर दिया है और पूरे जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। वहीं, एनआईए और अन्य एजेंसियों ने जांच शुरू कर दी है। इस घटना ने एक बार फिर दिखा दिया है कि आतंकी संगठन घाटी में शांति को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं और अब टूरिज्म सेक्टर को भी निशाना बना रहे हैं।