सर्दी की दस्तक के साथ चक्रवाती तूफान ‘मोंथा’ का खतरा, तमिलनाडु में ऑरेंज अलर्ट जारी

सर्दी की दस्तक के साथ चक्रवाती तूफान 'मोंथा' का खतरा, तमिलनाडु में ऑरेंज अलर्ट जारी

दक्षिण-पूर्वी बंगाल की खाड़ी के ऊपर बना गहरा दबाव क्षेत्र अब तेजी से ताकतवर हो रहा है। मौसम विभाग के अनुसार, सोमवार सुबह तक यह चक्रवाती तूफान ‘मोंथा’ (Cyclone Montha) में तब्दील हो सकता है। इसके असर को देखते हुए तमिलनाडु और तटीय इलाकों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। प्रशासन ने मछुआरों को चेतावनी दी है कि वे अगले कुछ दिनों तक समुद्र में न जाएं। जो मछुआरे पहले से समुद्र में हैं, उन्हें तुरंत तट पर लौटने की सलाह दी गई है, क्योंकि तेज हवाओं और ऊंची लहरों का खतरा बढ़ गया है।

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सर्दी के मौसम में क्यों आते हैं चक्रवाती तूफान?

सवाल यह है कि जब ठंड शुरू हो चुकी है, तब भी चक्रवाती तूफान क्यों बनते हैं?
विशेषज्ञों के अनुसार, सर्दियों में भी समुद्र की सतह का तापमान काफी गर्म रहता है, जबकि वातावरण ठंडा हो जाता है। चक्रवात बनने के लिए समुद्र का तापमान कम से कम 26 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक होना चाहिए। इस गर्मी से हवा ऊपर उठती है, जिससे कम दबाव का क्षेत्र (Low Pressure Area) बनता है। जब यह कम दबाव तेज हवाओं और नमी के साथ घूमना शुरू करता है, तो यह चक्रवात (Cyclone) में बदल जाता है।

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अक्टूबर से दिसंबर: चक्रवातों का सीजन

भारत में अक्टूबर से दिसंबर तक का समय पोस्ट-मॉनसून सीजन कहलाता है। इस दौरान हवा की दिशा और दबाव में लगातार बदलाव होता है। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में समुद्र का तापमान सर्दी की शुरुआत में भी काफी गर्म रहता है, जिससे चक्रवातों को ऊर्जा मिलती रहती है। यही कारण है कि इस मौसम में दक्षिण भारत पर अक्सर चक्रवाती तूफानों का खतरा मंडराता है।

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मौसम विभाग ने कहा है कि जैसे-जैसे दिसंबर में समुद्र ठंडा होता है, वैसे-वैसे चक्रवातों की संभावना घट जाती है। फिलहाल ‘मोंथा’ को लेकर सभी तटीय राज्यों को अलर्ट पर रखा गया है। प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने और अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की है।

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