नेपाल में चल रहे राजनीतिक संकट के बीच, नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की का नाम अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में सामने आ रहा है। उनकी ईमानदारी, निष्पक्षता और न्यायपालिका में उनके योगदान के कारण उन्हें इस भूमिका के लिए उपयुक्त माना जा रहा है।
बनारस से गहरा संबंध
सुशीला कार्की का बनारस से गहरा नाता है। उन्होंने 1975 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री प्राप्त की थी। यहीं उनकी मुलाकात नेपाल कांग्रेस के नेता दुर्गा प्रसाद सुबेदी से हुई, जिनसे बाद में उन्होंने विवाह किया। बीएचयू में अपने छात्र जीवन के दौरान वे एक सामान्य छात्रा की तरह पढ़ाई में व्यस्त रहती थीं और उनकी कोई राजनीतिक सक्रियता नहीं थी।
न्यायपालिका में योगदान
सुशीला कार्की ने नेपाल की न्यायपालिका में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 2016 में वे नेपाल सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं। उनके कार्यकाल के दौरान न्यायपालिका में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा मिला। उनकी छवि एक ईमानदार और निडर न्यायाधीश की रही है, जिन्होंने न्यायपालिका में सुधार की दिशा में कई कदम उठाए।भारत और नेपाल के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध रहे हैं। सुशीला कार्की ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली और नेतृत्व की सराहना की है। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा नेपाल का सहयोगी रहा है और दोनों देशों के बीच मजबूत संबंध बनाए रखने की आवश्यकता है।सुशीला कार्की की न्यायपालिका में उनकी ईमानदारी और निष्पक्षता के कारण उनका नाम नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में सामने आ रहा है। उनका बनारस से गहरा संबंध और भारत के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण नेपाल-भारत संबंधों में एक नई दिशा की ओर संकेत करता है।