Iran Israel war: जुल्फिकार के साथ खैबर की ओर, ईरान-इजरायल टकराव में खामेनेई का चेतावनी भरा संदेश

Iran Israel war

Iran Israel war: ईरान और इजरायल के बीच लंबे समय से जारी तनाव अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचता दिख रहा है। छठे दिन की जंग में ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर जो संदेश लिखा, उसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा। उन्होंने लिखा:- “महान हैदर के नाम पर, लड़ाई शुरू होती है। अली अपनी जुल्फिकार के साथ खैबर लौटते हैं।”

Iran Israel war

यह पोस्ट न सिर्फ एक भावनात्मक सन्देश है बल्कि इसमें कई ऐतिहासिक और धार्मिक प्रतीकों के माध्यम से युद्ध का संदेश छिपा है। ‘हैदर’, ‘अली’, ‘जुल्फिकार’ और ‘खैबर’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल इस बात का संकेत है कि यह टकराव अब केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि विचारधारात्मक और धार्मिक रूप ले चुका है।

हैदर और अली का प्रतीकात्मक अर्थIran Israel war

‘हैदर’ और ‘अली’ दोनों शब्द इस्लामिक इतिहास में हजरत अली से जुड़े हैं, जिन्हें शिया समुदाय पहले इमाम और सुन्नी समुदाय चौथे खलीफा के रूप में मानता है। हजरत अली को ‘शेर’ यानी बहादुरी और न्याय का प्रतीक माना जाता है। खामेनेई का ‘हैदर’ नाम से संबोधित करना उनके द्वारा युद्ध को अली की बहादुरी और धर्म के रक्षक रूप में दिखाना है।

जुल्फिकार: न्याय और युद्ध का हथियारIran Israel war

‘जुल्फिकार’ हजरत अली की दोधारी तलवार का नाम था, जो इस्लामी परंपरा में शक्ति, न्याय और विजय का प्रतीक है। खामेनेई द्वारा ‘जुल्फिकार’ शब्द का उपयोग यह स्पष्ट करता है कि ईरान अब निर्णायक कार्रवाई की मुद्रा में है और यह लड़ाई सिर्फ राजनीतिक नहीं बल्कि धार्मिक व सांस्कृतिक पहचान की भी है।

खैबर: इतिहास से वर्तमान तकIran Israel war

628 ई. में लड़ी गई खैबर की लड़ाई में मुस्लिम सेना ने यहूदी कबीलों को हराया था। यह जंग इस्लामी विजय का प्रतीक मानी जाती है। आज ईरान इस ऐतिहासिक लड़ाई का जिक्र कर इजरायल को एक बार फिर वैसा ही दुश्मन बताने की कोशिश कर रहा है। Iran Israel war

ईरान लंबे समय से इजरायल की नीतियों को फिलिस्तीन के खिलाफ अत्याचार के रूप में देखता आया है। खासकर जेरूसलम की अल-अक्सा मस्जिद की सुरक्षा को लेकर ईरान की चिंता सार्वजनिक रही है। खैबर का जिक्र कर खामेनेई ने यह स्पष्ट किया है कि अब संघर्ष को धार्मिक विमर्श में तब्दील किया जाएगा।

धार्मिक विमर्श बनाम राजनीतिक टकरावIran Israel war

खामेनेई की यह पोस्ट सीधे तौर पर इजरायल के खिलाफ एक धार्मिक युद्ध का संकेत देती है। जुल्फिकार और खैबर जैसे प्रतीक युद्ध में आत्मबल, विश्वास और ऐतिहासिक न्याय का प्रतिनिधित्व करते हैं। इससे इजरायल और अमेरिका के खिलाफ मुस्लिम जनमानस को लामबंद करने की रणनीति भी दिखती है।

यह टकराव अब सिर्फ मिसाइलों या सैनिक कार्रवाइयों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसमें धर्म, इतिहास और पहचान की भी निर्णायक भूमिका होगी। आने वाले समय में इसका असर क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक राजनीति पर गहरा पड़ सकता है।

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सोर्स- TV9 HINDI

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