Iran Israel ceasefire: आखिरकार थम गया ईरान-इजरायल युद्ध, ट्रंप की मध्यस्थता से थमी 12 दिन की तबाही

Iran Israel ceasefire

Iran Israel ceasefire: ईरान और इजरायल के बीच बीते 12 दिनों से जारी युद्ध आखिरकार अब थम चुका है। एक तरफ जहां अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने राहत की सांस ली है, वहीं इस युद्ध के आखिरी पलों में हुए घटनाक्रमों ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। मंगलवार को ईरानी सरकारी टेलीविजन ने आधिकारिक रूप से संघर्षविराम लागू होने की पुष्टि की। उधर, इजरायल ने भी अपने नागरिकों के लिए जारी आपातकालीन अलर्ट हटा लिया है।

ट्रंप की मध्यस्थता बनी निर्णायक मोड़- Iran Israel ceasefire

इस संघर्षविराम की सबसे अहम भूमिका अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की रही। उन्होंने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता कर युद्ध को समाप्त करने का मार्ग प्रशस्त किया। ट्रंप ने मंगलवार सुबह अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर यह घोषणा की कि दोनों देश युद्धविराम पर सहमत हो चुके हैं। ट्रंप के अनुसार, यह सीजफायर सुबह 9:30 बजे (भारतीय समयानुसार) से प्रभावी हुआ।

उन्होंने बताया कि पहले ईरान युद्धविराम शुरू करेगा, फिर 12 घंटे बाद इजरायल। इसके 24 घंटे के भीतर यह युद्ध आधिकारिक रूप से समाप्त मान लिया जाएगा। हालांकि ट्रंप ने यह स्पष्ट नहीं किया कि ‘लास्ट मिशन’ में क्या-क्या शामिल था, जो इस युद्ध की समाप्ति से ठीक पहले पूरे किए जाने थे।

ईरान का आखिरी क्षण तक संघर्ष- Iran Israel ceasefire

हालांकि युद्धविराम की घोषणा के बावजूद ईरान ने अंतिम समय तक इजरायल पर हमले जारी रखे। इजरायली डिफेंस फोर्स (IDF) के अनुसार, संघर्षविराम से एक घंटे पहले तक ईरान ने तीन बार मिसाइल अटैक किए, जिनमें चार नागरिकों की मौत हो गई। तेल अवीव में सायरन बजे और लोग बंकरों में चले गए। इससे संघर्षविराम को लेकर भ्रम की स्थिति बन गई थी। Iran Israel ceasefire

ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने इन हमलों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हमारी सैन्य ताकत दुश्मन को आखिरी क्षण तक जवाब देने में सक्षम है। यह हमले हमारे आत्मसम्मान और ताकत का प्रदर्शन हैं।” Iran Israel ceasefire

अमेरिका-इजरायल के हमलों से बुरी तरह हिला ईरान- Iran Israel ceasefire

13 जून को शुरू हुए इस युद्ध में ईरान को भारी नुकसान उठाना पड़ा। अमेरिकी सेना ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों — फोर्डो, नतांज और इस्फहान — पर बंकर बस्टर बमों से हमला किया। साथ ही इजरायली हमलों में ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के चीफ हुसैन सलामी समेत कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और परमाणु वैज्ञानिक मारे गए।

इस युद्ध में ईरान के लगभग 1000 नागरिकों की जान गई, और उसके बुनियादी ढांचे को गहरा नुकसान पहुंचा। सड़कें, पुल, सैन्य डिपो और संचार व्यवस्था पूरी तरह प्रभावित हुई।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर अकेला पड़ा ईरान

युद्ध के दौरान ईरान को मिडिल ईस्ट के किसी भी देश का प्रत्यक्ष समर्थन नहीं मिला। रूस और चीन जैसे महाशक्तियों ने केवल नैतिक समर्थन दिया, जबकि अमेरिका और इजरायल के खिलाफ खुलकर कोई भी देश नहीं आया। इससे ईरान की कूटनीतिक स्थिति और भी कमजोर हो गई।

घरेलू दबाव और अंतिम हमले का कारण

इस जंग में हुए भारी नुकसान के बाद ईरान के अंदर गुस्सा और आक्रोश चरम पर है। सूत्रों के अनुसार, कट्टरपंथी गुटों ने सरकार पर दबाव डाला कि वह किसी भी हालत में जंग को खत्म न करे और इजरायल के खिलाफ निर्णायक रुख अपनाए।

यह भी सामने आया कि इजरायल ने ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई को भी निशाना बनाने की योजना बनाई थी, जिसे ट्रंप की हस्तक्षेप के बाद अंतिम क्षणों में रोक दिया गया। इसीलिए ईरान के अंतिम मिसाइल हमलों को उसकी “राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन” के तौर पर देखा जा रहा है।

ईरान का संदेश — हम किसी के दबाव में नहीं

सीजफायर लागू होने के बावजूद ईरान का कहना है कि उसने किसी के दबाव में आकर यह निर्णय नहीं लिया। उसका कहना है कि वह खुद निर्णय लेने में सक्षम है और यह समझौता उसकी शर्तों पर हुआ है। ईरानी विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया, “हमने न युद्ध शुरू किया था और न ही हम युद्ध चाहते थे, लेकिन हम हर आक्रमण का जवाब पूरी ताकत से देंगे।”

हालांकि इस सीजफायर से दोनों देशों में तत्काल शांति स्थापित हो गई है, लेकिन जिस तरह ईरान ने अंतिम समय तक हमले किए और इजरायल की प्रतिक्रिया हुई, उससे लगता है कि यह शांति अस्थायी है। अमेरिका के दखल ने इस बार स्थिति संभाल ली, लेकिन भविष्य में स्थायी समाधान के लिए कूटनीतिक प्रयासों की जरूरत है।

एक ओर जहां इजरायल ने अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन किया, वहीं ईरान ने आखिरी वक्त तक अपनी जुझारू नीति को बरकरार रखा। अब सवाल यह है कि क्या यह युद्ध वास्तव में समाप्त हो गया है या यह केवल एक विराम है अगले संघर्ष से पहले?

SOURCE- AAJ TAK

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