UP Medical Admission Reservation– लखनऊ में पिछले 20 वर्षों से मेडिकल प्रवेश परीक्षा में अवैध आरक्षण नीति से सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों को हक से वंचित किए जाने का मामला फिर से सुर्खियों में है। यह दावा नमो सेना इंडिया के महासचिव एवं अखिल भारतीय सनातन परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ. संजय पाठक ने पत्रकारों से बातचीत में किया।

डॉ. संजय पाठक ने बताया कि 2006 से जारी इस आरक्षण घोटाले में डीजीएमई की भ्रामक दलीलों से न्यायपालिका को गुमराह किया गया, जिससे हर साल सैकड़ों सामान्य वर्ग के मेधावी छात्र अपने हक से वंचित हुए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश शैक्षिक संस्थानों में आरक्षण अधिनियम, 2006 के अनुसार आरक्षण की अधिकतम सीमा कुल 50 प्रतिशत होनी चाहिए, लेकिन मनमाने ढंग से इसे 79 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया।
उदाहरण के तौर पर अम्बेडकर नगर, कन्नौज, जालौन और सहारनपुर के चार नए मेडिकल कॉलेजों में सामान्य वर्ग के लिए केवल 28 सीटें छोड़ी गईं, जबकि अधिनियम के अनुसार कम से कम 170 सीटें सामान्य वर्ग के लिए खुली रहनी चाहिए थीं। इस प्रक्रिया ने हजारों मेधावी विद्यार्थियों का हक छीना।
डॉ. संजय पाठक ने राज्य सरकार और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ से इस अवैध प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने और न्याय सुनिश्चित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि हाल ही में छात्रा सबराह अहमद की चुनौती के बाद 25 अगस्त को एकल पीठ ने राज्य सरकार के आदेशों को अवैध घोषित किया और आरक्षण सीमा का उल्लंघन माना।
श्री पाठक का कहना है कि अगर प्रक्रिया दोबारा कराई जाती तो इस साल कम से कम 90 सामान्य और ओबीसी विद्यार्थियों को उनका हक मिल सकता था। उनका यह मुद्दा पूरे प्रदेश में शिक्षा और न्याय प्रणाली की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाता है।