नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच एक बार फिर हालात तनावपूर्ण हो गए हैं. पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ रची गई एक बड़ी साजिश को भारतीय वायुसेना ने हाईटेक एयर डिफेंस सिस्टम S-400 ‘सुदर्शन कवच’ (OPERATION SINDOOR UPDATES) की मदद से नाकाम कर दिया है. पड़ोसी मुल्क ने भारत के 15 प्रमुख शहरों को निशाना बनाने की कोशिश की थी, लेकिन भारतीय वायुसेना की मुस्तैदी और तकनीकी ताकत के आगे उसकी हर चाल नाकाम हो गई.
S-400: भारत का “सुदर्शन कवच”
S-400 एयर डिफेंस सिस्टम को भारत ने रूस से खरीदा है और इसे ‘सुदर्शन कवच’ की संज्ञा दी जा रही है — भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र की तरह अजेय और सटीक. इस मिसाइल डिफेंस सिस्टम की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह 400 किमी की दूरी तक किसी भी दुश्मन के ड्रोन, मिसाइल या फाइटर जेट को आसमान में ही नष्ट कर सकता है. इस प्रणाली की सटीकता और शक्ति ने यह साबित कर दिया कि भारत की हवाई सुरक्षा अब अपराजेय बन चुकी है.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की बौखलाहट
भारतीय वायुसेना द्वारा हाल ही में किए गए “ऑपरेशन सिंदूर-1” में पाकिस्तान और PoK में स्थित कई आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया. इस हमले के बाद पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई की योजना बनाई, जिसमें उसने जम्मू-कश्मीर, पंजाब और गुजरात के 15 शहरों को टारगेट किया. लेकिन भारतीय वायुसेना की सतर्कता और S-400 के सक्रिय होते ही पाकिस्तान की यह चाल हवा में ही नष्ट हो गई. पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल जैसे ही भारतीय सीमा में दाखिल हुए, उन्हें निशाना बनाकर ध्वस्त कर दिया गया.
भारत को कैसे मिला S-400?
भारत ने अक्टूबर 2018 में रूस के साथ पांच S-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने का समझौता किया था, जिसकी कुल लागत 5.43 अरब डॉलर (करीब 40,000 करोड़ रुपये) से अधिक थी. अमेरिका ने इस डील का विरोध किया और भारत को CAATSA (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act) के तहत प्रतिबंधों की चेतावनी भी दी थी. CAATSA अमेरिकी कानून है जो रूस, ईरान और उत्तर कोरिया से सैन्य समझौते करने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाता है. इससे पहले अमेरिका ने तुर्की पर S-400 खरीदने को लेकर प्रतिबंध भी लगाए थे.
भारत पर नहीं लगा प्रतिबंध
हालांकि, भारत के कूटनीतिक प्रयास रंग लाए और अमेरिका के कुछ सांसदों ने भारत को इस कानून से छूट देने की मांग की. जुलाई 2022 में अमेरिका की हाउस ऑफ रेप्रेजेंटेटिव्स ने संशोधन पारित कर भारत को छूट दी. इसके बाद भारत को बिना किसी प्रतिबंध के S-400 की पहली तीन यूनिट मिल चुकी हैं. बाकी दो यूनिट रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण विलंबित हैं, जिन्हें 2025 तक भारत को मिल जाने की संभावना है.
S-400 बनाम HQ-9
पाकिस्तान के पास चीन निर्मित HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम है, लेकिन इसकी तकनीकी क्षमता S-400 से काफी कम है. HQ-9 की अधिकतम रेंज 300 किलोमीटर है जबकि S-400 की अधिकतम रेंज 400 किलोमीटर है. S-400 एक साथ 80 लक्ष्यों को निशाना बना सकता है और हर लक्ष्य पर दो मिसाइलें दाग सकता है.
गति की बात करें तो S-400 की मिसाइलें 17,000+ किलोमीटर प्रति घंटा तक की रफ्तार से उड़ सकती हैं, जबकि HQ-9 की गति इससे काफी कम है. ऊंचाई की बात करें तो S-400 की मिसाइलें 60 किलोमीटर तक ऊपर जाकर दुश्मन के हथियारों को खत्म कर सकती हैं, जो HQ-9 के मुकाबले दुगुना है.
क्यों है S-400 इतना खास?
- एक साथ कई लक्ष्यों को मार गिराने में सक्षम
- हाइपरसोनिक गति और उच्च-सटीकता
- 360 डिग्री कवरेज
- कम समय में तैनाती और संचालन
- फाइटर जेट्स, बैलिस्टिक मिसाइल, ड्रोन और हेलीकॉप्टर को भी रोकने में सक्षम
एक्सपर्ट की राय
पूर्व एयर वाइस मार्शल कपिल कक्कड़ ने कहा, “S-400 भारतीय हवाई रक्षा में एक क्रांतिकारी बदलाव है. पाकिस्तान जैसी सीमित क्षमताओं वाले देश के लिए यह डिफेंस सिस्टम एक बड़ी चुनौती है.
पाकिस्तान की स्थिति
पाकिस्तान आज भी अमेरिका और IMF के कर्ज के बोझ तले दबा है. उसकी सैन्य क्षमता की तुलना में भारत का डिफेंस इंफ्रास्ट्रक्चर कहीं अधिक मजबूत और आधुनिक है. भारत की सैन्य तैयारी और रणनीतिक बढ़त ने पाकिस्तान को हताशा की स्थिति में ला दिया है.
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