रक्षाबंधन एक अटूट विश्वास,जानें पौराणिक और ऐतिहासिक कथाएं

रक्षाबंधन एक अटूट विश्वास

Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन का पावन त्योहार श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 9 अगस्त 2025 को मनाया जा रहा है। यह त्योहार भाई-बहन के प्रेम, विश्वास और सुरक्षा के बंधन का प्रतीक है। हालांकि, इसके पीछे कई पौराणिक और ऐतिहासिक कथाएं जुड़ी हैं, जिन्हें जानना जरूरी है।


1. द्रौपदी और श्रीकृष्ण की कथा रक्षाबंधन एक अटूट विश्वास

एक बार भगवान श्रीकृष्ण के हाथ में चोट लग गई और खून बहने लगा। द्रौपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया। बदले में श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा का वचन दिया और कौरव सभा में चीरहरण के समय उनकी लाज बचाई।


2. इंद्र और इंद्राणी की कथा रक्षाबंधन एक अटूट विश्वास

भविष्य पुराण के अनुसार, देवासुर संग्राम में इंद्र की हार हो रही थी। उनकी पत्नी इंद्राणी ने रक्षा सूत्र बांधा, जिससे इंद्र को शक्ति मिली और उन्होंने विजय प्राप्त की। यहीं से रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा की शुरुआत मानी जाती है।


3. राजा बलि और माता लक्ष्मी की कथा रक्षाबंधन एक अटूट विश्वास

विष्णु पुराण में वर्णित है कि वामन अवतार में भगवान विष्णु ने राजा बलि से राज्य ले लिया। बलि के अनुरोध पर विष्णु उनके साथ रहने लगे। तब माता लक्ष्मी ने बलि को राखी बांधकर भाई बनाया और भगवान विष्णु को वैकुंठ ले गईं।


4. रानी कर्णावती और हुमायूं की कहानी रक्षाबंधन एक अटूट विश्वास

मुगल काल में चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने बहादुर शाह के आक्रमण से बचने के लिए सम्राट हुमायूं को राखी भेजी। हुमायूं ने रक्षा का वचन दिया, लेकिन समय पर नहीं पहुंच सके। रानी ने जौहर कर लिया, पर बाद में हुमायूं ने बहादुर शाह को हराकर मेवाड़ को स्वतंत्र कराया।


रक्षाबंधन एक अटूट विश्वास

रक्षाबंधन सिर्फ भाई-बहन का त्योहार नहीं, बल्कि प्रेम, सुरक्षा और विश्वास का प्रतीक है। यह हमें अपने प्रियजनों की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करने की प्रेरणा देता है।

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