रायबरेली के महाराजगंज क्षेत्र के गंगापुर खेखरुवा स्थित बाबा घिसियावन दास कुटी में हर साल की तरह इस बार भी शरद पूर्णिमा के अवसर पर दमा रोगियों को औषधीय खीर का प्रसाद वितरित किया जाएगा। यह परंपरा करीब 150 वर्षों से लगातार चली आ रही है, जिसमें हजारों श्रद्धालु और मरीज आस्था के साथ शामिल होते हैं।

कुटी के वर्तमान महंत राम बचन दास इस विशेष खीर प्रसाद को तैयार करते हैं। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों में औषधीय गुण आ जाते हैं। इसलिए यह खीर रात भर चाँदनी में रखी जाती है, जिससे इसमें प्राकृतिक ऊर्जा का संचार होता है। इसे खाने से दमा और श्वास संबंधी रोगों में राहत मिलती है।

महंत राम बचन दास केवल खीर ही नहीं, बल्कि इसके साथ एक विशेष पेड़ की जड़ और जड़ी-बूटियाँ भी वितरित करते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इन औषधीय तत्वों से खीर का प्रभाव और बढ़ जाता है।
हर वर्ष यहाँ दूर-दराज़ जिलों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुँचते हैं। आंकड़ों के अनुसार, प्रति वर्ष चार से पाँच सौ से अधिक मरीज इस प्रसाद को ग्रहण करते हैं और कई लोगों ने इससे लाभ मिलने की बात भी कही है।लोगों का विश्वास है कि यह बाबा घिसियावन दास की दी हुई अमूल्य परंपरा है, जो आज भी लोगों के स्वास्थ्य और आस्था दोनों को मजबूत बना रही है।