लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सड़क सुरक्षा को और प्रभावी बनाने के लिए योगी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। राज्य में 1 सितंबर से 30 सितंबर तक “नो हेलमेट, नो फ्यूल” अभियान चलाया जाएगा। इस दौरान बिना हेलमेट लगाए दोपहिया वाहन चालकों को पेट्रोल और डीजल नहीं मिलेगा।सरकार का कहना है कि इस पहल का उद्देश्य नागरिकों को दंडित करना नहीं है, बल्कि उन्हें सुरक्षित व्यवहार अपनाने के लिए प्रेरित करना है। जिलाधिकारी के नेतृत्व में अभियान का संचालन होगा और जिला सड़क सुरक्षा समिति (डीआरसीएस) इसका समन्वय करेगी। पुलिस, परिवहन विभाग और जिला प्रशासन प्रवर्तन की मुख्य जिम्मेदारी निभाएंगे।
पहले हेलमेट फिर मिलेगा ईंधन “नो हेलमेट, नो फ्यूल”
परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने कहा-“नो हेलमेट, नो फ्यूल दंड का अभियान नहीं है, बल्कि सुरक्षा का संकल्प है। हेलमेट पहनना जीवन का सबसे आसान और सस्ता बीमा है। सरकार चाहती है कि ‘हेलमेट पहले, ईंधन बाद में’ को एक स्थायी नियम बनाया जाए।”

तेल कंपनियों और पेट्रोल पंप संचालकों की भूमिका “नो हेलमेट, नो फ्यूल”
इस अभियान को सफल बनाने के लिए आईओसीएल, बीपीसीएल और एचपीसीएल जैसी तेल विपणन कंपनियों से सहयोग मांगा गया है। पेट्रोल पंप संचालकों से अपील की गई है कि वे बिना हेलमेट वालों को ईंधन न दें और अभियान को पूरी तरह लागू करें। खाद्य एवं रसद विभाग पेट्रोल पंप स्तर पर समन्वय और निगरानी करेगा।
ईंधन बिक्री पर असर नहीं “नो हेलमेट, नो फ्यूल”
परिवहन विभाग का कहना है कि ऐसे अभियानों का पहले भी सकारात्मक असर देखा गया है। शुरुआत में थोड़ी असुविधा होती है, लेकिन जल्द ही लोग हेलमेट पहनकर पेट्रोल पंप आने लगते हैं। इससे ईंधन बिक्री पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ता, बल्कि यह पहल नागरिकों की सुरक्षा और सड़क हादसों में कमी लाने का प्रभावी कदम है।