मालेगांव बम विस्फोट मामले में 17 साल के लंबे इंतजार के बाद फैसला (Malegaon Blast Case) आ गया है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत गुरुवार को 2008 में हुए इस धमाके की जांच मामले में फैसला सुना दिया है. साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित समेत सातों आरोपी बरी कर दिए गए हैं. विशेष एनआईए अदालत ने कहा है कि ब्लास्ट में इस्तेमाल बाइक के साध्वी प्रज्ञा के होने के सबूत नहीं है. इन आरोपियों पर यूएपीए नहीं लगा सकते.
कोर्ट ने कहा कि इन आरोपियों पर घटना से जुड़े आरोप साबित नहीं हुए हैं. मामले में पेश तमाम गवाह बाद में अपने बयान से मुकर गए. आरडीएक्स लेफ्टिनेंट के घर से मिलने का साक्ष्य नहीं है. इस मामले के सभी सात आरोपी अब कोर्ट रूम पहुंच गए हैं. आपको बता दें कि अदालत ने अभियोजन और बचाव पक्ष की ओर से सुनवाई और अंतिम दलीलें पूरी करने के बाद 19 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस धमाके में छह लोगों की मौत हुई थी.
कोर्ट रूम पहुंचे सभी आरोपी मालेगांव ब्लास्ट केस में ऐतिहासिक फैसला
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत इस मामले में जिन सात लोगों को आरोपी बनाया गया है, वो फिलहाल कोर्ट रूम पहुंच चुके हैं. कोर्ट की कार्रवाई अब से कुछ देर में शुरू हो सकती है.
कौन हैं मालेगांव के सात आरोपी, मालेगांव ब्लास्ट केस में ऐतिहासिक फैसला
मालेगांव बम धमाका मामले में कुल सात लोगों को आरोपी बनाया गया है. इस लिस्ट में पूर्व सांसद साध्व प्रज्ञा ठाकुर भी एक आरोपी हैं. इस मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित, रिटायर मेजर रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी को आरोपी बनाया गया है.
क्या हैं आरोप मालेगांव ब्लास्ट केस में ऐतिहासिक फैसला
रिपोर्ट्स के अनुसार इस मामले में कर्नल पुरोहित पर आरोप है कि उन्होंने आरडीएक्स कश्मीर से लाकर महाराष्ट्र स्थित अपने घर में छिपाया था. इस बम को सुधाकर चुतर्वेदी के देवलाली छावनी में स्थित घर में तैयार किया था. एटीएस ने दावा किया है कि बाइक पर बम प्रीवण टक्कलकी, रामजी कालसांगरा और संदीप डांगे ने लगाया था. ये भी एक बड़ी साजिश के तहत काम कर रहे थे. इस मामले में पहली चार्जशीट 2009 में दाखिल की गई थी. इसमें 11 आरोपी और 3 वान्टेंड थे. इलेक्ट्रॉनिक सबूतों में सुधाकर धर द्विवेदी के लैपटॉप की रिकॉर्डिंग, वॉयस सैंपल आदि शामिल किए गए थे. जांच के दौरान पता चला था कि जनवरी 2008 में फरीदाबाद, भोपाल, और नासिक में इस साजिश को लेकर बैठकों को दौर चला था.