महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) की जगह लाने वाला ‘जी राम जी’ बिल आज सुबह लोकसभा में विपक्ष के भारी विरोध के बीच पारित कर दिया गया। बिल के पास होते ही संसद का माहौल गरमा गया और विपक्षी सांसदों ने वेल में उतरकर जमकर हंगामा किया।

विपक्ष की मांग थी कि इस अहम बिल को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाए ताकि इसके हर पहलू पर विस्तार से चर्चा हो सके। विरोध के दौरान कई सांसदों ने बिल की कॉपियां फाड़ दीं, जिस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, “कानून पर पहले ही विस्तार से चर्चा हो चुकी है। जनता आपको कागज फाड़ने के लिए नहीं, बल्कि जिम्मेदारी निभाने के लिए भेजती है।” अब यह बिल राज्यसभा में पेश किया जाएगा।
विपक्ष ने क्यों किया विरोध?
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा, डीएमके सांसद टीआर बालू और समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव समेत कई विपक्षी नेताओं ने बिल को गरीब-विरोधी बताया। विपक्ष का कहना है कि इस कानून से महात्मा गांधी का नाम हटाया जाना राष्ट्रपिता का अपमान है। साथ ही यह भी आरोप लगाया गया कि नया कानून राज्यों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ डालता है, जबकि कई राज्य पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।
सरकार का जवाब क्या रहा?
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने वर्षों तक योजनाओं के नाम केवल नेहरू-गांधी परिवार से जोड़े और अब नाम बदलने पर सवाल उठा रही है। चौहान ने आरोप लगाया कि MGNREGA भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका था और नया कानून सभी स्टेकहोल्डर्स से चर्चा के बाद लाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार नाम नहीं, काम की राजनीति करती है।
प्रियंका गांधी का तीखा बयान
सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद प्रियंका गांधी वाड्रा ने मीडिया से कहा कि यह बिल ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना को धीरे-धीरे खत्म कर देगा। उन्होंने कहा, “यह योजना सबसे गरीब लोगों का सहारा है। राज्यों के पास फंड नहीं है और सरकार उन पर बोझ डाल रही है। यह बिल साफ तौर पर गरीब विरोधी है।”
कागज फाड़ने पर सरकार की आपत्ति
केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल ने संसद के भीतर कागज फाड़ने की घटना की निंदा करते हुए कहा कि लोकतंत्र में इस तरह के व्यवहार की कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस बिल पर देर रात तक चर्चा की और यह कानून जनहित में है।
