नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने केंद्र सरकार को लेकर एक बार फिर आक्रामक रुख अपनाया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार सिर्फ योजनाओं और संस्थानों के नाम बदलने में व्यस्त है, जबकि ग्रामीण रोजगार और मजदूरी जैसे अहम मुद्दों पर जवाब देने से बच रही है। मनरेगा को लेकर डिंपल यादव ने सरकार से सीधे सवाल पूछते हुए पिछले 10 वर्षों के आंकड़े सार्वजनिक करने की मांग की है।

डिंपल यादव ने कहा,“यह नाम बदलने वाली सरकार है। पहले सरकार बताए कि पिछले 10 सालों में मनरेगा के तहत कितनी मजदूरी दी गई है। आंकड़े पेश करें, तभी सच्चाई सामने आएगी।”उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार मनरेगा जैसी जनकल्याणकारी योजना को कमजोर कर रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी बढ़ रही है, मजदूरी समय पर नहीं मिल रही और काम के दिनों में कटौती की जा रही है। इसके बावजूद सरकार जमीनी हकीकत पर चर्चा करने के बजाय सिर्फ प्रचार और ब्रांडिंग में लगी है।
सपा सांसद ने कहा कि मनरेगा देश के करोड़ों गरीब, किसान और मजदूर परिवारों की जीवनरेखा है। यह योजना सिर्फ रोजगार नहीं देती, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने में भी अहम भूमिका निभाती है। लेकिन मौजूदा सरकार के कार्यकाल में मजदूरी भुगतान में देरी, बजट कटौती और काम के अवसर घटने की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं।
डिंपल यादव ने यह भी कहा कि अगर सरकार वाकई गरीबों और मजदूरों के हित में काम कर रही है, तो उसे मनरेगा से जुड़े भुगतान, काम के दिन और मजदूरी दर के पूरे आंकड़े देश के सामने रखने चाहिए। केवल योजनाओं के नाम बदलने से जनता की समस्याएं हल नहीं होंगी।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लोकसभा चुनावों के बाद विपक्ष अब रोजगार, महंगाई और ग्रामीण विकास को लेकर सरकार पर लगातार दबाव बना रहा है। मनरेगा जैसे मुद्दे को उठाकर समाजवादी पार्टी ने ग्रामीण और पिछड़े वर्गों को साधने की रणनीति अपनाई है।डिंपल यादव के इस बयान के बाद अब सभी की नजर केंद्र सरकार के जवाब पर है। सवाल साफ है—क्या सरकार मनरेगा के पिछले 10 सालों के वास्तविक आंकड़े सार्वजनिक करेगी, या यह मुद्दा सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी तक सीमित रहेगा?
