मेरठ: भारत में मॉकड्रिल और सुरक्षा तैयारियों की परंपरा कोई नई नहीं है. यह मॉकड्रिल (BLACKOUT MOCK DRILL IN UP) 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान भी देखने को मिली थी. उस वक्त ग्राम सभाओं की बैठकों में ग्रामीणों को ट्रेनिंग दी जाती थी कि युद्ध जैसी आपातकालीन स्थिति में आम नागरिकों को क्या करना है और क्या नहीं? उस समय जब सायरन बजता था, तो पूरे गांव और शहर में ब्लैकआउट कर दिया जाता था. लोग बिजली की बत्तियां बंद कर शीशों और खिड़कियों को काले कपड़ों से ढक देते थे ताकि दुश्मन को रोशनी नजर न आए.
मेरठ की रहने वाली 85 वर्षीय विद्यावती ने नेशनल नाउ समाचार से एक्सक्लूसिव बातचीत में बताया कि कैसे 1962 का समय भय और साहस दोनों का मिश्रण था. उन्होंने बताया कि, “उस समय गांवों में ग्राम सभा की बैठकें होती थीं और महिलाओं से लेकर बच्चों तक को मॉकड्रिल के जरिए यह सिखाया जाता था कि यदि युद्ध होता है, तो क्या करना है. जैसे ही सायरन बजता, पूरे इलाके में अंधेरा कर दिया जाता था. खिड़कियां, रोशनदान, शीशे — सब काले कर दिए जाते थे.”
विद्यावती बताती हैं कि सूचना का एकमात्र साधन हिंदी और उर्दू अखबार हुआ करते थे. लोग अखबारों से ही युद्ध की स्थिति और सेना की गतिविधियों की जानकारी पाते थे. उन्होंने बताया कि घर-घर में लोग देश के लिए प्रार्थना करते थे और हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में देशभक्ति से जुड़ा महसूस करता था.
विद्यावती के परिवार की तीन पीढ़ियां सेना में
मेरठ की विद्यावती के परिवार में तीन पीढ़ियाँ भारतीय सेना को समर्पित रही हैं. उनके पिता ने 1962 के युद्ध में भाग लिया था, जबकि 1971 की लड़ाई में भी उनके परिवार के सदस्य सक्रिय रहे. आज भी उनके परिवार के कई सदस्य सेना में कार्यरत हैं. विद्यावती गर्व के साथ कहती हैं कि “हमारा खून देश की रक्षा के लिए ही बना है.”
आज भी हो रही मॉकड्रिल की परंपरा जारी
आज जब भारत एक बार फिर राष्ट्रीय सुरक्षा के सवालों से जूझ रहा है, तो मेरठ सहित देशभर में मॉकड्रिल का आयोजन किया जा रहा है ताकि आम जनता को आपातकालीन परिस्थितियों के लिए तैयार किया जा सके. विद्यावती कहती हैं, “आज की पीढ़ी को भी यह सिखाना जरूरी है कि देश के प्रति क्या कर्तव्य हैं. मॉकड्रिल एक जागरूकता का माध्यम है, जिससे लोग समय रहते अपनी और दूसरों की सुरक्षा कर सकें.”
उन्होंने आगे कहा कि “पाकिस्तान या कोई भी दुश्मन देश हो, उसे मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हमें सिर्फ सेना नहीं, बल्कि एकजुट देशभक्ति की भावना भी चाहिए. हम सबको देश के लिए जागरूक और तैयार रहना चाहिए.”