इटावा: विश्व तेंदुआ दिवस के मौके पर इटावा सफारी पार्क (ETAWAH SAFARI LEOPARDS) एक बार फिर चर्चा में है. एशियाई शेरों के लिए प्रसिद्ध यह पार्क अब तेंदुओं के संरक्षण और पुनर्वास के क्षेत्र में भी अहम भूमिका निभा रहा है. इस समय सफारी पार्क में कुल 20 तेंदुए हैं, जिनमें से 5 व्यस्क तेंदुए सफारी क्षेत्र में पर्यटकों को रोमांचकारी अनुभव दे रहे हैं, जबकि शेष शावकों की विशेष देखरेख की जा रही है.
मां के त्यागे शावकों को नया जीवन
सफारी निदेशक डॉ. अनिल पटेल के अनुसार, इटावा सफारी पार्क (ETAWAH SAFARI LEOPARDS) में मौजूद कई तेंदुए उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों से बचाकर लाए गए हैं. इनमें से कई ऐसे शावक हैं, जिन्हें जन्म के बाद ही मां ने त्याग दिया था. ऐसे में सफारी के वन्यजीव विशेषज्ञों ने इन शावकों की हाथों से परवरिश की, जो पहले लगभग असंभव माना जाता था. आज ये शावक स्वस्थ हैं और उन्हें एक सुरक्षित व प्राकृतिक माहौल में पाला जा रहा है.
डॉ. पटेल बताते हैं कि सफारी में तेंदुओं को पास से देखने का अनुभव न सिर्फ पर्यटकों के लिए रोमांचकारी होता है, बल्कि इससे वन्यजीवों के प्रति जागरूकता भी बढ़ती है. लोगों को यह समझ में आता है कि तेंदुआ जैसे जीव केवल शिकारी नहीं, बल्कि पारिस्थितिक तंत्र का अहम हिस्सा हैं.
तेंदुए की खासियतें
वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. आर.के. सिंह का कहना है कि तेंदुआ बेहद चपल और फुर्तीला शिकारी होता है. उसकी रहस्यमयी उपस्थिति, तेज नजर, प्राकृतिक छलावरण और पेड़ों पर चढ़ने की अनोखी क्षमता उसे जंगल का एक अद्वितीय प्राणी बनाते हैं. इटावा सफारी में पर्यटक इन गुणों का प्रत्यक्ष अनुभव कर सकते हैं, जो किताबों और टीवी स्क्रीन से कहीं अधिक प्रभावी होता है.

संरक्षण के सफल प्रयास
तेंदुओं को लेकर चल रही सरकारी संरक्षण योजनाएं अब असर दिखा रही हैं. पहले तेंदुए मानव बस्तियों के पास देखे जाते थे, जिससे टकराव की घटनाएं बढ़ती थीं. लेकिन अब इन्हें इटावा सफारी जैसे संरक्षित क्षेत्रों में लाकर एक सुरक्षित जीवन देने की दिशा में कार्य किया जा रहा है. इससे न केवल तेंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित हुई है, बल्कि मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में भी कमी आई है.
प्रेरणा बनता इटावा सफारी
इटावा सफारी पार्क अब सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं रह गया, बल्कि यह वन्यजीव संरक्षण का एक आदर्श उदाहरण बन चुका है. यहां रोमांच, शिक्षा और संवेदनशीलता का ऐसा मेल देखने को मिलता है, जो न केवल बच्चों और युवाओं को बल्कि सभी पीढ़ियों को प्रकृति और जैव विविधता के प्रति जागरूक करता है.
यह सफारी आने वाले समय में तेंदुओं सहित अन्य वन्यजीवों के लिए भी एक प्रमुख सुरक्षित आश्रयस्थल के रूप में विकसित होगा. पर्यावरण संरक्षण और पारिस्थितिक संतुलन की दिशा में यह एक प्रभावी कदम साबित हो रहा है.
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