लखनऊ: समाजवादी पार्टी के नए पोस्टर से राजनीति गरमाई, सड़कों पर उतरे भाजपाई- Akhilesh Yadav Poster Controversy

Akhilesh Yadav Poster Controversy

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के कार्यालय के बाहर लगे एक पोस्टर को लेकर उत्तर प्रदेश की राजनीति में तूफान खड़ा हो गया है. लखनऊ स्थित समाजवादी पार्टी (सपा) के कार्यालय के बाहर लगे एक होर्डिंग (Akhilesh Yadav Poster Controversy) ने प्रदेश की सियासी फिजाओं को गरमा दिया है. इस पोस्टर में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की आधी तस्वीर हटाकर उनकी जगह सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की तस्वीर लगा दी गई है. इस घटना को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने कड़ा विरोध जताया है.

सोमवार सुबह जब लोगों ने सपा कार्यालय के बाहर यह पोस्टर देखा, तो सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक विरोध की लहर फैल गई. बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने राजधानी लखनऊ के हजरतगंज चौराहे पर जोरदार प्रदर्शन किया. बड़ी संख्या में कार्यकर्ता नारेबाजी करते हुए अखिलेश यादव से माफी की मांग कर रहे हैं. बीजेपी के नगर अध्यक्ष और विधायक नीरज बोरा के नेतृत्व में पार्टी कार्यकर्ता डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा के नीचे धरने पर बैठ गए हैं. उनके हाथों में बैनर और पोस्टर हैं, जिन पर अखिलेश यादव के खिलाफ जमकर नारे लिखे हैं.

एक महिला बीजेपी कार्यकर्ता ने कहा, “यह सिर्फ एक तस्वीर नहीं, हमारे संविधान और दलित सम्मान पर हमला है. अखिलेश यादव को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए.” वहीं एक अन्य कार्यकर्ता ने कहा कि सपा जानबूझकर दलित प्रतीकों का अपमान कर रही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

बसपा ने जताई कड़ी आपत्ति
विवाद को और हवा तब मिली जब बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी इस मुद्दे पर कड़ी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर डॉ. अंबेडकर के नाम और तस्वीरों का राजनीतिक इस्तेमाल बंद नहीं किया गया तो बसपा कार्यकर्ता सड़कों पर उतरेंगे. मायावती ने ट्वीट कर कहा, “डॉ. अंबेडकर की छवि से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी.”

उधर, समाजवादी पार्टी ने पूरे विवाद को “राजनीतिक साजिश” करार दिया है. सपा प्रवक्ता का कहना है कि पोस्टर किसी आम समर्थक द्वारा लगाया गया है और पार्टी की इसमें कोई भूमिका नहीं है. उन्होंने कहा कि भाजपा और बसपा जानबूझकर इस मुद्दे को तूल दे रही हैं ताकि सपा की छवि को नुकसान पहुंचाया जा सके.

यह विवाद न सिर्फ राजनीतिक दलों के बीच टकराव को बढ़ा रहा है, बल्कि जातिगत भावनाओं को भी उकसा रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी चुनावों से पहले ऐसे मुद्दे राजनीतिक एजेंडों को धार देने के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं. फिलहाल, लखनऊ में सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ा दिया गया है और पुलिस प्रशासन पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए है.

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