Rupee Future: नई दिल्ली: भारतीय रुपये (INR) की लगातार गिरावट ने निवेशकों और आम जनता के बीच चिंता बढ़ा दी है। इस बीच SBI रिसर्च ने एक नई रिपोर्ट में भविष्य को लेकर अहम अनुमान पेश किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रुपया फिलहाल डीवैल्यूएशन के तीसरे चरण से गुजर रहा है, लेकिन अगले 6 महीनों में इसमें तेजी देखने को मिल सकती है।

डॉलर की मजबूती और रुपया कमजोर
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी डॉलर (USD) की मजबूती और अंतरराष्ट्रीय बाजार में आयातित दबाव के कारण रुपये में गिरावट आई है। SBI रिसर्च ने बताया कि वैश्विक तेल की कीमतें और अन्य कमोडिटी दरें भी रुपये पर दबाव डाल रही हैं। हालांकि, अगले छह महीनों में वैश्विक आर्थिक संकेतकों में सुधार और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की नीतियों के चलते रुपये में स्थिरता और सुधार देखने को मिल सकता है।
डीवैल्यूएशन के तीसरे चरण का असर
SBI रिसर्च के मुताबिक, रुपये का तीसरा चरण डीवैल्यूएशन वह समय है जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर के मुकाबले INR की कमजोरी बढ़ती है, लेकिन इसमें अगले 6 महीनों में निवेशकों को वापसी की संभावना बनी रहती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस समय धैर्य और सही रणनीति अपनाना निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण है।
निवेशकों के लिए संदेश
विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय फॉरेक्स और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में हड़बड़ी न करें, बल्कि बाजार के संकेतकों का अध्ययन करें। SBI रिसर्च ने सुझाव दिया है कि रुपये की गिरावट अस्थायी हो सकती है और नियंत्रित निवेश और सुनियोजित बचत से भविष्य में लाभ कमाया जा सकता है। SBI रिसर्च की रिपोर्ट में साफ किया गया है कि रुपये की गिरावट फिलहाल चिंता का विषय है, लेकिन अगले छह महीनों में भले ही डॉलर मजबूत रहे, INR में सुधार की उम्मीद है। निवेशकों और व्यापारियों को इसे ध्यान में रखते हुए रणनीति बनानी चाहिए।
